अब UP में अपराधियों की खैर नहीं! CBI और ED की तर्ज पर काम करेगी पुलिस, बने सख्त नियम

    उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली अब बदलने जा रही है. अब न तो किसी को चुपचाप उठाया जा सकेगा, और न ही बिना दस्तावेज के किसी की गिरफ्तारी होगी. डीजीपी मुख्यालय ने गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए 16 बिंदुओं वाला विस्तृत मेमो सभी जिलों को भेजा है.

    UP police will work on the lines of CBI and ED strict rules made
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    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली अब बदलने जा रही है. अब न तो किसी को चुपचाप उठाया जा सकेगा, और न ही बिना दस्तावेज के किसी की गिरफ्तारी होगी. डीजीपी मुख्यालय ने गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए 16 बिंदुओं वाला विस्तृत मेमो सभी जिलों को भेजा है. इस नई प्रणाली में अब हर गिरफ्तारी कागज़ों पर साफ-साफ दर्ज होगी, और हर कदम का पूरा ब्यौरा बनाया जाएगा. ठीक वैसा ही जैसे केंद्रीय एजेंसियां CBI या ED करती हैं.

    हर गिरफ्तारी होगी रजिस्टर्ड, बनेगा पूरा रिकॉर्ड

    अब से हर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक नामित अधिकारी जिम्मेदार होगा, जो पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड तैयार करेगा – जिसमें गिरफ्तारी का समय, स्थान, कारण, आरोपी के बयान, मेडिकल जांच की रिपोर्ट और बरामद वस्तुओं का ज़िक्र शामिल होगा. यह जानकारी जिले के कंट्रोल रूम में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित भी की जाएगी, ताकि कोई सवाल न उठ सके.

    स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी भी होगी जरूरी

    गिरफ्तारी के समय कम से कम दो स्वतंत्र गवाहों के दस्तखत अनिवार्य कर दिए गए हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि गिरफ्तारी प्रक्रिया निष्पक्ष रही है और किसी भी प्रकार की ज़्यादती से इनकार नहीं किया जा सकता.

    सीनियर अफसर की निगरानी होगी अनिवार्य

    गिरफ्तारी में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, हर केस में एक SI या उससे वरिष्ठ अधिकारी की मौजूदगी अनिवार्य होगी. इसके अलावा हर जिले में एक जिम्मेदार अधिकारी तैनात किया जाएगा, जो यह देखेगा कि गिरफ्तारी प्रक्रिया तय मानकों के अनुरूप हो रही है या नहीं.

    हर वस्तु का विवरण, हर कदम की जवाबदेही

    आरोपी के पास से बरामद सामान की पूरी सूची अब केस फाइल का हिस्सा बनेगी. यह न सिर्फ अदालत में एक मजबूत साक्ष्य बनेगा, बल्कि आरोपी के अधिकारों की रक्षा का भी आधार होगा. सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यह आदेश संविधानिक मूल्यों की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

    परिवार को मिलेगी सही जानकारी, फर्ज निभाएगी पुलिस

    इस व्यवस्था से पुलिस सिर्फ ताकत का नहीं, न्याय का प्रतीक बनेगी. अब परिजनों को समय रहते जानकारी मिल सकेगी, और फालतू की भागदौड़ से मुक्ति भी मिलेगी. डीजीपी मुख्यालय ने इस आदेश को सभी पुलिस कप्तानों को भेजते हुए सख्ती से पालन के निर्देश दिए हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि ये दिशा-निर्देश कागजों तक सीमित रहते हैं या वाकई यूपी पुलिस की छवि में मूलभूत बदलाव लाते हैं.

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