दहेज में मांगी कार तो 2 सगी बहनों ने चौखट से लौटाई अपनी बारात

    उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले से एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां दहेज को लेकर हुए विवाद और मारपीट के बाद दो बहनों ने शादी करने से मना कर दिया. ये मामला सादाबाद तहसील के समदपुर गांव का है, जहां लड़कियों की शादी पास के ही ताजपुर गांव के दो भाइयों से तय हुई थी.

    दहेज में मांगी कार तो 2 सगी बहनों ने चौखट से लौटाई अपनी बारात
    Representative Image: AI

    उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले से एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां दहेज को लेकर हुए विवाद और मारपीट के बाद दो बहनों ने शादी करने से मना कर दिया. ये मामला सादाबाद तहसील के समदपुर गांव का है, जहां लड़कियों की शादी पास के ही ताजपुर गांव के दो भाइयों से तय हुई थी.

    दो बहनों की होनी थी शादी

    समदपुर गांव के सुनील की दो बेटियां  शिवानी और भारती, 14 अप्रैल को ताजपुर गांव के मोहित और नारायण से शादी करने वाली थीं.
    बारात धूमधाम से घर तक पहुंच चुकी थी, और स्वागत की तैयारियां चल रही थीं. जैसे ही बारात दरवाजे पर पहुंची, दूल्हे पक्ष ने अचानक दहेज में गाड़ी की मांग कर दी. लड़कियों के पिता सुनील ने बताया कि उन्होंने पहले ही 6 लाख रुपये नकद और बाकी जरूरी सामान दहेज में दे दिया था, लेकिन अब और कुछ देने की स्थिति में नहीं थे. इस बात को लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी शुरू हो गई, जो जल्दी ही झगड़े और मारपीट में बदल गई.

    बहनों ने शादी से किया साफ इनकार

    इस घटना से शिवानी और भारती बहुत आहत हुईं. दोनों ने शादी करने से इनकार कर दिया और कहा कि "जब हमारे ससुराल वाले शादी के दिन ही हमारे पिता से गाड़ी मांगने लगे और उनके साथ मारपीट करने लगे, तो ऐसे लोगों से रिश्ता रखना ही नहीं चाहिए." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दूल्हे पक्ष ने उनके पिता, चाचा और भाई के साथ मारपीट की और उन्हें अपमानित किया.

    शिकायत दर्ज, पुलिस जांच में जुटी

    लड़कियों के परिवार ने इस पूरे मामले की शिकायत महिला थाने में दर्ज कराई है. क्षेत्राधिकारी हिमांशु कुमार ने बताया कि "हमें शिकायत मिल चुकी है, और पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है." इस मामले में दोनों बहनों ने साहसिक फैसला लेकर एक गलत प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई है. दहेज के लालच में शादी रोकना न सिर्फ कानूनन अपराध है, बल्कि सामाजिक रूप से भी शर्मनाक है. इस घटना से यह संदेश जाता है कि समाज में लड़कियां अब अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही हैं.