UP BJP State President Election: उत्तर प्रदेश में भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. भूपेंद्र चौधरी के जनवरी 2023 में कार्यकाल की समाप्ति के बाद से पार्टी इस पद के लिए एक उपयुक्त चेहरे की तलाश में जुटी हुई है. फिलहाल, पार्टी के भीतर ब्राह्मण और ओबीसी के बीच मंथन चल रहा है, और माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा सकती है.
क्या है बीजेपी की नई रणनीति?
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी पार्टी नेतृत्व में बदलाव के लिए एक सशक्त और प्रभावी ब्राह्मण नेता की तलाश कर रही है. जिन नेताओं के नाम इस समय चर्चा में हैं, उनमें दिनेश शर्मा, सुब्रत पाठक, हरीश द्विवेदी और गोविंद नारायण शुक्ला प्रमुख हैं. इन नेताओं की ब्राह्मण समाज में अच्छी पहचान है और पार्टी को उम्मीद है कि इन चेहरों के जरिए वह ब्राह्मण समुदाय से बेहतर समर्थन जुटा पाएगी.
ओबीसी और ब्राह्मण के बीच कशमकश
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अभी तक किसी एक नाम पर मुहर नहीं लग पाई है. बीजेपी का बड़ा उद्देश्य है कि वह इस पद पर ऐसे नेता को चुने, जो न सिर्फ पार्टी की जनाधार को बढ़ाए बल्कि ओबीसी और ब्राह्मण दोनों समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखे. इस समय, पार्टी को यह चुनौती भी है कि वह समाजवादी पार्टी के पीडीए फॉर्मुले का मुकाबला कर सके, जिसे लेकर सपा ब्राह्मण समाज में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश कर रही है.
इटावा घटना का असर
बीजेपी के लिए एक और महत्वपूर्ण बिंदु ब्राह्मण समाज में सपा के खिलाफ बढ़ती नाराजगी है, खासकर इटावा की घटना के बाद. पार्टी उम्मीद कर रही है कि अगर वह ब्राह्मण चेहरे को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो इसे ब्राह्मण समाज की नाराजगी को शांत करने के रूप में देखा जा सकता है. इस कारण पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनावों में 2027 के चुनाव में यह कदम मददगार साबित हो सकता है.
संगठन और सरकार के तालमेल की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की अगले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति का बड़ा हिस्सा सरकार और संगठन के बीच तालमेल को बेहतर करना है. इसलिए नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा, ताकि चुनावी दृष्टि से संगठन मजबूत हो सके.
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