चूमा और 76 कोड़े पड़े...मुस्लिम लड़कों को प्यार करना पड़ गया महंगा, सरेआम हो गई पिटाई; जानें कहा का है मामला

    इंडोनेशिया के आचे प्रांत में शरिया कानून के तहत दो पुरुषों को सार्वजनिक रूप से 80-80 कोड़े मारने की सजा दी गई. इन दोनों को एक सार्वजनिक पार्क के शौचालय में एक-दूसरे को चूमते हुए पकड़ा गया था. धार्मिक अदालत ने उन्हें इस्लामी नैतिकता के उल्लंघन का दोषी ठहराया था.

    Two men in Indonesia were publicly flogged 76 times got whip punishment
    Image Source: Social Media

    इंडोनेशिया के आचे प्रांत में शरिया कानून के तहत दो पुरुषों को सार्वजनिक रूप से 80-80 कोड़े मारने की सजा दी गई. इन दोनों को एक सार्वजनिक पार्क के शौचालय में एक-दूसरे को चूमते हुए पकड़ा गया था. धार्मिक अदालत ने उन्हें इस्लामी नैतिकता के उल्लंघन का दोषी ठहराया था. यह घटना मंगलवार को प्रांतीय राजधानी बांदा आचे के एक खुले पार्क में घटी, जहां करीब 100 लोगों की भीड़ मौजूद थी.

    स्थानीय शरिया पुलिस के अनुसार, दोनों पुरुषों को कुल 80-80 कोड़े मारने की सजा दी गई, हालांकि चार महीने की हिरासत की अवधि को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक तौर पर 76-76 बेंत लगाए गए. कोड़ों की यह सजा भीड़ के सामने एक मंच पर दी गई, जिसमें लोगों ने खामोशी के साथ पूरा दृश्य देखा. शरिया पुलिस की प्रवर्तन प्रमुख रोसलीना ए जलील ने बताया कि इन दोनों को अप्रैल महीने में एक आम नागरिक की सूचना के बाद रंगे हाथों पकड़ा गया था. यह व्यक्ति 10 लोगों के उस समूह का हिस्सा था जिन्हें उसी दिन अलग-अलग अपराधों के लिए कोड़े मारे गए.

    अन्य मामलों में भी कोड़े

    सिर्फ यही दो लोग नहीं, बल्कि उसी दिन तीन महिलाओं और पांच पुरुषों को भी सार्वजनिक रूप से बेंत मारने की सजा दी गई. इन लोगों पर विवाहेतर संबंध, विपरीत लिंग के लोगों के साथ अवैध मेलजोल और ऑनलाइन जुआ खेलने जैसे अपराध साबित हुए थे. आचे प्रांत में शराब पीना, जुआ खेलना, तंग कपड़े पहनना, और शुक्रवार की नमाज में अनुपस्थित रहना भी अपराध की श्रेणी में आता है.

    मानवाधिकार संगठनों की आलोचना

    हालांकि स्थानीय समाज में इस तरह की सजा का समर्थन देखने को मिलता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी आलोचना हो रही है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे अमानवीय और क्रूर बताया. संगठन की क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक मोंटसे फेरर ने कहा कि किसी के यौन व्यवहार को अपराध बताना मानवाधिकारों का उल्लंघन है और यह किसी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए.

    धार्मिक कानूनों का इतिहास

    आचे, इंडोनेशिया का एकमात्र प्रांत है जहां शरिया कानून आधिकारिक रूप से लागू है. 2001 में इस क्षेत्र को विशेष स्वायत्तता दी गई थी, जिसके बाद यहां धार्मिक न्याय प्रणाली को मजबूत किया गया. जकार्ता सरकार ने यह कदम लंबे समय से चल रहे अलगाववादी विद्रोह को शांत करने के उद्देश्य से उठाया था.

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