नरक का द्वार देखना है तो तुर्की चले जाओ... इस मंदिर में जाने वाला कभी लौट के नहीं आता!

    दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं जो रहस्यों से भरी हुई हैं, लेकिन कुछ रहस्य इतने खतरनाक होते हैं कि उनके करीब जाने की हिम्मत सिर्फ किस्सों में ही दिखाई देती है.

    Türkiye gates of hell temple
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    दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं जो रहस्यों से भरी हुई हैं, लेकिन कुछ रहस्य इतने खतरनाक होते हैं कि उनके करीब जाने की हिम्मत सिर्फ किस्सों में ही दिखाई देती है. तुर्की के प्राचीन शहर हेरापोलिस में मौजूद एक ऐसा ही मंदिर है, जिसे सदियों तक "नरक का द्वार" कहा जाता रहा.

    इस मंदिर की सबसे डरावनी बात? यहां जो भी गया… वापस कभी लौटकर नहीं आया.

    मौत का मंदिर या विज्ञान की चाल?

    इस खौफनाक जगह को ‘प्लूटो का मंदिर’ (Ploutonion) कहा जाता है, जो रोमन मान्यताओं में मृत्यु के देवता प्लूटो को समर्पित बताया गया है. सालों तक स्थानीय लोग मानते रहे कि मंदिर में देवताओं का प्रकोप है और इसीलिए वहां जाने वाला इंसान या जानवर जीवित नहीं बचता.

    मंदिर की भयावहता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पिंजरे में रखे गए पक्षी कुछ ही पलों में मर जाते थे. पशु-पक्षियों की रहस्यमयी मौतों ने मंदिर की "भूतिया" छवि को और पुख्ता किया.

    2018 में हुआ खुलासा, विज्ञान ने खोला रहस्य का ताला

    साल 2018 में जब पुरातात्विक खोजकर्ताओं ने इस मंदिर पर गहराई से अध्ययन किया, तो इसका रहस्य सामने आया. यूनानी भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो ने करीब 2000 साल पहले इस जगह का ज़िक्र करते हुए कहा था कि यह मंदिर एक "घातक दरार" पर बना है, जहां से एक ज़हरीली गैस निकलती है.

    आधुनिक वैज्ञानिकों ने इस स्थान पर पाया कि मंदिर के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का स्तर बेहद उच्च है—कभी-कभी 91 प्रतिशत तक. खास बात यह है कि यह गैस ज़मीन से कुछ इंच ऊपर तक एक "घातक परत" बनाती है, जिससे वहां मौजूद किसी भी जीव की मौत कुछ ही मिनटों में हो जाती है.

    पौराणिकता बनाम विज्ञान: किस पर भरोसा करें?

    जहां एक ओर विज्ञान ने मंदिर की रहस्यमयी मौतों की गुत्थी सुलझा दी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोग अब भी मानते हैं कि यह जगह बलि और शाप से जुड़ी हुई है. खुदाई में यहां पशु-पक्षियों के कंकाल मिले हैं, जिससे लोगों का विश्वास और गहरा हो गया कि यह सच में नरक का द्वार है.

    आज भी नहीं टूटा भय

    हालांकि अब यह जगह पुरातात्विक स्थल के रूप में पर्यटकों के लिए खुली है, लेकिन स्थानीय लोगों की मान्यताओं के आगे आज भी एक डर बरकरार है. कुछ इसे विज्ञान की चाल मानते हैं, तो कुछ देवताओं की चेतावनी.

    Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. भारत24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.