तुर्की के खलीफा ने पाकिस्तान को दिया 'धोखा', भारत के खिलाफ हथियार देने से इनकार; शहबाज की 'हेकड़ी' खत्म!

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि भारत इस हमले के दोषियों को बख्शने वाला नहीं है. इसी बीच एक और चिंता की लकीर तब खिंच गई जब तुर्की के पाकिस्तान को सैन्य मदद भेजने के दावे सामने आए.

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    एर्दोगन | Photo: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए 26 निर्दोष हिंदुओं की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है. इस वीभत्स आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर तनाव चरम पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि भारत इस हमले के दोषियों को बख्शने वाला नहीं है. इसी बीच एक और चिंता की लकीर तब खिंच गई जब तुर्की के पाकिस्तान को सैन्य मदद भेजने के दावे सामने आए.

    तुर्की-पाकिस्तान गठजोड़

    खबरें हैं कि तुर्की से एक जहाज पाकिस्तान की धरती पर उतरा, जिसमें भारी मात्रा में हथियार होने की आशंका जताई गई. हालांकि, तुर्की ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनका C-130 हरक्यूलिस विमान केवल ईंधन भरने के लिए कराची रुका था. लेकिन तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य और रणनीतिक संबंधों को देखते हुए यह दावा संदेह से परे नहीं है.

    भारत इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए हुए है. तुर्की पहले ही पाकिस्तान को बायरक्तर TB2 ड्रोन, नौसैनिक युद्धपोत और पनडुब्बियों के आधुनिकीकरण में सहयोग दे चुका है. रक्षा प्रशिक्षण से लेकर तकनीकी सहायता तक, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग लगातार गहरा होता जा रहा है.

    भारत की सख्त प्रतिक्रिया और बदलती रणनीति

    पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को खुला समर्थन देने का आरोप लगाया और कड़ा रुख अपनाया. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को 'रोग स्टेट' घोषित करने की मांग उठाई, वहीं घरेलू मोर्चे पर इंडस जल संधि को निलंबित कर दिया गया, वाघा-अटारी सीमा अस्थायी रूप से बंद कर दी गई और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए.

    इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगा दी. इस बीच, तुर्की के छह C-130 विमानों से पाकिस्तान को कथित सैन्य सामान भेजे जाने की खबरें सामने आईं, जिसने भारत के लिए एक नई चिंता को जन्म दिया.

    वैश्विक मंच पर तुर्की का दोहरा रवैया

    तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने भले ही भारत और पाकिस्तान से तनाव कम करने की अपील की हो, लेकिन उन्होंने अपने बयान में पाकिस्तान के समर्थन की बात भी दोहराई. यह दोहरा रवैया भारत के लिए कूटनीतिक रूप से असहज करने वाला है, खासकर जब तुर्की कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है.

    एक नया त्रिकोणीय गठबंधन?

    भारत के रणनीतिक विश्लेषकों को चिंता इस बात की भी है कि तुर्की, पाकिस्तान और चीन के बीच एक नया रणनीतिक गठबंधन आकार ले रहा है. चीन ने भी पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के समर्थन में बयान जारी किया और निष्पक्ष जांच की बात कही. तुर्की और चीन की पाकिस्तान के साथ बढ़ती निकटता भारत की सुरक्षा नीतियों पर असर डाल सकती है.

    भारतीय जनमानस में नाराज़गी

    सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर लोगों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं. कई भारतीय यूजर्स ने तुर्की को ‘विश्वासघाती’ करार दिया और सरकार से व्यापारिक संबंधों की समीक्षा की मांग की. लोगों को यह भी याद है कि भारत ने 2023 में तुर्की में आए भूकंप के दौरान ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत मानवीय सहायता भेजी थी, लेकिन अब वही तुर्की भारत के विरोध में खड़ा नजर आ रहा है.

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