वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक हालिया साक्षात्कार में भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में अपने कथित योगदान को लेकर फिर बयान दिया है. इस बार स्वर भावनात्मक था, ट्रंप ने कहा कि उन्हें 'गर्व' है कि वे दो परमाणु सशस्त्र देशों के बीच 'युद्ध को टालने' में सक्षम रहे, लेकिन यह भी जोड़ा कि उन्हें इसका कोई श्रेय नहीं मिला.
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत ने लगातार ट्रंप की मध्यस्थता की भूमिका से इनकार किया है, और पाकिस्तान भी इस पर स्पष्ट टिप्पणी करने से बचता रहा है. ऐसे में ट्रंप की यह प्रतिक्रिया भू-राजनीतिक छवि निर्माण और घरेलू चुनावी रणनीति का भी हिस्सा मानी जा रही है.
परमाणु धूल अमेरिका तक पहुंच सकती थी
साक्षात्कार के दौरान ट्रंप ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी थी. मैं दोनों पक्षों के प्रभावशाली नेताओं से सीधे बात कर रहा था. मैंने स्पष्ट कहा कि जब तक गोलीबारी और परमाणु हथियारों की धमकी जारी है, तब तक अमेरिका व्यापार समझौते नहीं करेगा."
❗️Donald Trump Annoyed He Isn't Being Given Credit for #IndiaPakistan Ceasefire?
— RT_India (@RT_India_news) June 6, 2025
"Am I going to credit? I'll never get credit for anything. THEY don't give me credit for anything."
Is they... meant to be India? pic.twitter.com/GUsFVEOGfA
उन्होंने कहा कि परमाणु युद्ध की स्थिति न केवल उपमहाद्वीप बल्कि वैश्विक वातावरण, विशेष रूप से अमेरिका को भी प्रभावित कर सकती थी. उन्होंने कहा, "परमाणु धूल महासागरों में बहकर हम तक पहुंच सकती थी."
मैंने युद्ध रोका, लेकिन कोई श्रेय नहीं मिला
ट्रंप ने खुलकर कहा कि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि उन्हें कोई पुरस्कार या वैश्विक प्रशंसा मिलेगी, लेकिन जब उनकी भूमिका को पूरी तरह नकार दिया गया, तो यह "अनुचित" प्रतीत हुआ.
ट्रंप ने कहा, "कोई और नहीं कर सकता था जो मैंने किया. मैंने युद्ध रोका, और मुझे इस पर गर्व है."
भारत-पाकिस्तान के नेताओं को प्रशंसा
ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री की "महान नेता" के रूप में प्रशंसा की और कहा कि उनके साथ व्यापार वार्ता बेहद सार्थक रही. वहीं, पाकिस्तान के नेतृत्व की भी तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, "कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आएगा कि मैं ऐसा कह रहा हूं, लेकिन पाकिस्तान में भी मजबूत नेतृत्व है. उन्होंने भी युद्ध टालने में समझदारी दिखाई."
यह बयान अमेरिकी घरेलू राजनीति के संदर्भ में संतुलन साधने की रणनीति माना जा सकता है, जहां भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के बीच मुस्लिम दुनिया और दक्षिण एशियाई अमेरिकी समुदाय को भी साधना एक चुनावी ज़रूरत बन गई है.
यूक्रेन-रूस संघर्ष को लेकर भी जताई मंशा
ट्रंप ने भारत-पाक विवाद का उल्लेख करते हुए यूक्रेन-रूस युद्ध की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा, "काश मैं उस युद्ध को भी रोक पाता. लेकिन एक दिन यह होगा."
यह ट्रंप की भविष्य की राष्ट्रपति पद की दावेदारी को संकेत करता है, जहां वे "शांतिदूत" की छवि गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, विशेषकर ऐसे समय में जब बाइडन प्रशासन को यूक्रेन नीति पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं.
भारत की प्रतिक्रिया- कोई मध्यस्थता नहीं
भारत पहले ही ट्रंप के दावों को "पूर्णत: निराधार" बता चुका है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत-पाक के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं रही है. भारत का हमेशा से स्पष्ट रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर वार्ता द्विपक्षीय आधार पर ही संभव है, आतंकवाद मुक्त वातावरण में.
ये भी पढ़ें- 'पाकिस्तान की आधी आबादी को रोटी नसीब नहीं...' वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने शहबाज-मुनीर को दिखाया आईना