ड्रामेबाज ट्रंप की नौटंकी देखो... जी7 बैठक शुरू होने से पहले बोले- ईरान-इजरायल की टेंशन है, जल्दी चला जाऊंगा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी अलग और अप्रत्याशित राजनीतिक शैली से सबको चौंका दिया.

    Trump before G7 meeting Iran-Israel
    डोनाल्ड ट्रंप | Photo: ANI

    जब कनाडा की ठंडी वादियों में दुनिया की सात प्रमुख लोकतांत्रिक शक्तियां जी7 सम्मेलन में वैश्विक संकटों पर एकजुट होने का प्रयास कर रही थीं, उसी दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी अलग और अप्रत्याशित राजनीतिक शैली से सबको चौंका दिया.

    सम्मेलन शुरू हुआ, ट्रंप लौटने की तैयारी में

    जी7 बैठक की औपचारिक शुरुआत से पहले ही ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि वे सम्मेलन बीच में छोड़कर अमेरिका लौट रहे हैं. कारण बताया गया — "मध्य पूर्व में उत्पन्न हालात." व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने कहा कि ट्रंप को कुछ "अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों" पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन जानकारों का मानना है कि असली वजह है ईरान-इज़रायल के बीच तेज़ होता तनाव.

    तेहरान पर ट्रंप की डिजिटल चेतावनी

    सम्मेलन के पहले ही दिन ट्रंप ने सोशल मीडिया के ज़रिए ईरान के नागरिकों को चौंकाने वाली चेतावनी दी—उन्होंने कहा कि "तेहरान के लोग शहर छोड़ दें." हालांकि, उन्होंने इसके पीछे की स्पष्ट वजह नहीं बताई. विशेषज्ञों ने इस पोस्ट को ईरान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की एक कोशिश के रूप में देखा.

    यूरोप एक ओर, ट्रंप दूसरी ओर

    सम्मेलन में यूरोपीय नेता — फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, और कनाडा के मेजबान पीएम मार्क कार्नी — एक संयुक्त बयान पर काम कर रहे थे, जिसका उद्देश्य था: ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना

    इज़राइल के आत्मरक्षा अधिकार को समर्थन देना

    लेकिन ट्रंप ने इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. उनके मुताबिक, उन्होंने पहले ही इस विषय पर पर्याप्त सार्वजनिक बयान दे दिए हैं और उन्हें किसी औपचारिक दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं.

    ईरान से डील की उम्मीदें फिर ज़िंदा?

    सम्मेलन के दौरान मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने दावा किया कि ईरान समझौते के लिए तैयार है, और जल्द ही कोई कूटनीतिक पहल हो सकती है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह समझौता किस दिशा में जाएगा. उन्होंने यह ज़रूर कहा कि उन्होंने ईरान को दो महीने का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी मियाद शुक्रवार को खत्म हो गई. उसी दिन इज़राइल ने ईरान के खिलाफ बड़े सैन्य हमले किए, जिनमें परमाणु ठिकाने और सैन्य अधिकारी निशाना बने.

    रूस को लेकर फिर उभरा मतभेद

    ट्रंप ने सम्मेलन में रूस के बारे में अपनी पुरानी राय फिर दोहराई — कि G8 से रूस को बाहर करना एक गलती थी. उन्होंने दावा किया कि अगर रूस अब भी समूह का हिस्सा होता, तो शायद यूक्रेन युद्ध टल जाता. इस पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने तीखी आपत्ति जताई और कहा कि जो देश खुद अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहा हो, वह मध्य पूर्व में शांति का रास्ता नहीं सुझा सकता.

    सम्मेलन के पहले दिन ही तनाव की लकीर

    G7 जैसे मंच का मकसद होता है वैश्विक मुद्दों पर साझा रुख अपनाना. लेकिन ट्रंप की रणनीति फिर यही दिखाती है कि वे बहुपक्षीय समझौतों से अधिक व्यक्तिगत दबाव और एकतरफा फैसलों में विश्वास रखते हैं. सम्मेलन के पहले ही दिन उनकी जल्दी वापसी और साझा बयान से दूरी ने न सिर्फ राजनीतिक तनाव बढ़ाया, बल्कि जी7 की एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए.

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