द हेग: नीदरलैंड्स ने हाल ही में एक अभूतपूर्व रक्षा समझौते के तहत अपने 18 रिटायर्ड F-16 लड़ाकू विमानों को केवल 1 यूरो में रोमानिया को सौंपा है. यह डील न केवल सैन्य सहयोग का प्रतीक है, बल्कि NATO की सामूहिक रणनीति का हिस्सा भी है, जो यूरोप के पूर्वी हिस्से को और अधिक मजबूत और संगठित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
सौदे से अधिक, रणनीतिक संदेश
यह सौदा दिखने में भले ही प्रतीकात्मक लगे, लेकिन इसका प्रभाव बहुत गहरा है. पुराने F-16 विमान भले ही अब आधुनिक अमेरिकी या यूरोपीय वायुसेनाओं का हिस्सा न हों, लेकिन वे अभी भी प्रभावशाली क्षमताओं से लैस हैं. रोमानिया को ये विमान मिलने से न केवल उसकी वायुसेना की ताकत में इज़ाफा होगा, बल्कि वह NATO का एक महत्वपूर्ण 'एयर पावर हब' भी बन रहा है.
यूक्रेन के लिए परोक्ष समर्थन
यह डील ऐसे समय पर हुई है जब यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष जारी है. रोमानिया की भौगोलिक स्थिति—यूक्रेन की सीमा से सटी हुई और काला सागर के किनारे स्थित—इस क्षेत्र को रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बनाती है. रोमानिया में बनने वाला नया F-16 पायलट ट्रेनिंग सेंटर पहले ही यूक्रेनी पायलटों को प्रशिक्षित कर रहा है. अब बुल्गारिया, स्लोवाकिया और संभवतः मध्य-पूर्व के देशों के पायलट भी यहां प्रशिक्षण ले सकेंगे.
नीदरलैंड्स की सधी हुई कूटनीति
नीदरलैंड्स ने इस कदम के जरिए एक साथ कई लक्ष्यों को साधा है:
यह डील नीदरलैंड्स की रक्षा कूटनीति की परिपक्वता को दर्शाती है, जहां संसाधनों का इस्तेमाल केवल सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि सामरिक प्रभाव और गठबंधनों को मजबूत करने के लिए भी किया जा रहा है.
पाकिस्तान, अमेरिका और F-16
F-16 विमानों की वैश्विक राजनीति में एक दिलचस्प संदर्भ यह भी है कि अमेरिका ने अतीत में पाकिस्तान को भी ये विमान दिए हैं. हालांकि, पाकिस्तान को F-16 की आपूर्ति एक अलग भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से हुई थी, जबकि रोमानिया को यह डील NATO के सामूहिक सुरक्षा दृष्टिकोण का हिस्सा है. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि एक ही हथियार प्रणाली का उपयोग अलग-अलग देशों और संदर्भों में अलग-अलग रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है.
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