उत्तर प्रदेश के दो जिलों — बरेली और चंदौली — में गुरुवार को एक अलग ही दृश्य देखने को मिला, जब वायु सेना के जवान आसमान से उतरे और थलसेना व नौसेना के जवान तेजी से मौके पर पहुंचे. इस अचानक हुई हलचल को देखकर स्थानीय लोग पहले तो हैरान रह गए, लेकिन जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो गई कि यह एक आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल का हिस्सा था.
बरेली में तैयार हुआ आपदा का ‘काल्पनिक संकट’
बरेली के सदर, फरीदपुर और मीरगंज इलाकों में मॉक ड्रिल के दौरान एक कल्पित स्थिति बनाई गई — जिसमें रामगंगा नदी में एक नाव डूबने की सूचना मिलती है. इसके बाद तुरंत वायुसेना, सेना, नौसेना और NDRF की टीमें सक्रिय हो गईं. मिशन के तहत नाव पर सवार लोगों को सुरक्षित निकालने का सफल ऑपरेशन किया गया.
मौके पर मौजूद अधिकारियों ने स्थानीय नागरिकों को बताया कि बाढ़ जैसी आपात स्थिति में कैसे सतर्क रहना है, क्या कदम उठाने हैं और रेस्क्यू कार्य किस तरह होता है. drills का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक तैयारियों को परखना था, बल्कि आम जनता को भी आपदा की स्थिति में सही प्रतिक्रिया देना सिखाना था.
हर साल बाढ़ का सामना करता है बरेली मंडल
गौरतलब है कि बरेली मंडल की नदियां — गंगा, रामगंगा, गर्रा और बहगुल — हर वर्ष बाढ़ की स्थिति पैदा करती हैं. बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर और पीलीभीत जिलों में बाढ़ से जान-माल का खतरा लगातार बना रहता है. यही कारण है कि जिला प्रशासन समय-समय पर इस तरह की मॉक ड्रिल आयोजित करता है ताकि संकट की घड़ी में सभी एजेंसियां समन्वित रूप से कार्य कर सकें.
चंदौली में भी बाढ़ राहत का अभ्यास
चंदौली जिले के बलुआ, मुगलसराय, चकिया और जिला मुख्यालय समेत चार प्रमुख बाढ़ संभावित क्षेत्रों में भी मॉक ड्रिल आयोजित की गई. इसमें स्थानीय प्रशासन, राहत एवं बचाव दल, स्वास्थ्य विभाग और राजस्व अधिकारियों ने भाग लिया. एसडीएम को नोडल अधिकारी नियुक्त कर जिम्मेदारियों का पूर्व निर्धारण किया गया.
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