ड्रोन से बम या मिसाइल नहीं, बल्कि मच्छर छोड़ रहा है यह देश... वजह जान हो जाएंगे हैरान

    आमतौर पर ड्रोन से बम या मिसाइल गिराने की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन हवाई के जंगलों में इन दिनों ड्रोन एक अलग ही मिशन पर हैं — वे मच्छर गिरा रहे हैं!

    This country is releasing mosquitoes using drones
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    आमतौर पर ड्रोन से बम या मिसाइल गिराने की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन हवाई के जंगलों में इन दिनों ड्रोन एक अलग ही मिशन पर हैं — वे मच्छर गिरा रहे हैं! सुनने में अजीब ज़रूर लगता है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक रणनीति है, जो सीधे तौर पर हवाई की लुप्त होती दुर्लभ पक्षियों को बचाने के लिए है.

    मच्छर जो काटते नहीं, बल्कि बचाते हैं

    हवाई के माउई और कौआई द्वीपों पर हाल ही में बायोडिग्रेडेबल पॉड्स को ड्रोन से गिराया गया. हर पॉड में थे करीब 1000 लैब में तैयार किए गए नर मच्छर. ये मच्छर इंसानों को काटते नहीं, बल्कि मादा मच्छरों से मेल करने के बाद उनके अंडों को निष्क्रिय बना देते हैं. इन मच्छरों में एक खास बैक्टीरिया Wolbachia डाला गया है, जो मच्छरों की संख्या को धीरे-धीरे कम कर देता है.

    पक्षियों पर मंडराता संकट

    हवाई की एक समय प्रसिद्ध रंग-बिरंगी चिड़ियां, जैसे हनीक्रीपर, आज विलुप्ति के कगार पर हैं. कभी 50 से ज्यादा प्रजातियां थीं, आज सिर्फ 17 बची हैं. उनमें भी कुछ, जैसे 'आकिकिकी' और 'अकेके', संकट में हैं. इन पक्षियों की भूमिका पर्यावरण में अहम है—वे परागण करती हैं और बीजों को फैला कर जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखती हैं.

    छुपा हुआ दुश्मन: एवियन मलेरिया

    इन चिड़ियों के संकट का सबसे बड़ा कारण है एवियन मलेरिया—एक घातक बीमारी जो मच्छरों के ज़रिए फैलती है. दिलचस्प बात यह है कि हवाई में मच्छर प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते थे. 1826 में जब व्हेल पकड़ने वाले जहाज पहली बार वहां पहुंचे, तो उनके साथ मच्छर भी आए. तब से ये मच्छर फैल गए और स्थानीय पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हुए.

    पहले पक्षी पहाड़ों की ऊंचाइयों पर जाकर खुद को मच्छरों से बचा लेते थे. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से अब मच्छर पहाड़ों तक भी पहुंचने लगे हैं.

    वैज्ञानिकों का अभिनव प्रयोग

    इस खतरे से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने IIT (Incompatible Insect Technique) अपनाई है. यह तकनीक मच्छरों को खत्म करने का ऐसा तरीका है, जिसमें कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती और पर्यावरण को नुकसान नहीं होता.

    ‘Birds, Not Mosquitoes’ जैसे संगठनों और American Bird Conservancy ने इस पर 2016 से काम शुरू किया. कैलिफोर्निया की लैब में लाखों मच्छर तैयार किए गए और हर हफ्ते लगभग 10 लाख मच्छर जंगलों में छोड़े जा रहे हैं.

    ड्रोन: मिशन का चुपचाप हीरो

    पहाड़ों और घने जंगलों में मच्छर छोड़ना आसान नहीं था. हेलिकॉप्टर से ऐसा करना बेहद महंगा और जोखिम भरा था. ऐसे में ड्रोन ने गेम चेंजर की भूमिका निभाई. अब वैज्ञानिक ड्रोन की मदद से ऐसे दुर्गम इलाकों में भी मच्छर छोड़ पा रहे हैं, जहां हेलिकॉप्टर भी नहीं पहुंच सकते. यह तकनीक न सिर्फ किफायती और सटीक है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील भी है.

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