मॉस्को: दुनिया एक बार फिर किसी बड़े वैश्विक संघर्ष की कगार पर खड़ी नज़र आ रही है. रूस और नाटो देशों के बीच दिनों-दिन बढ़ता तनाव इस आशंका को जन्म दे रहा है कि कहीं यह टकराव किसी बड़े युद्ध का रूप न ले ले. रूसी मीडिया और विश्लेषकों की हालिया रिपोर्टें इस ओर इशारा कर रही हैं कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर संभावित परमाणु हमले की तैयारी चल रही है. ऐसे हालात में दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध जैसे संकट का सामना करना पड़ सकता है.
क्या है रूसी मीडिया की चेतावनी?
रूस से प्रकाशित होने वाले कई प्रमुख समाचार पत्रों और सरकारी समर्थक मीडिया संस्थानों ने अपने नागरिकों को आगाह किया है कि नाटो के साथ युद्ध की संभावना बढ़ रही है. कोम्सोमोल्स्काया प्रावदा (केपी) जैसे समाचार पत्रों ने तो साफ शब्दों में यह भी कहा है कि इस दशक के अंत तक पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर हमला किया जा सकता है, जो किसी बड़े परमाणु संघर्ष का रूप ले सकता है.
कैलिनिनग्राद बना तनाव का केंद्र
इस बढ़ते तनाव का एक बड़ा कारण है रूस का कैलिनिनग्राद क्षेत्र, जो नाटो देशों से घिरा हुआ है और रूस की मुख्य भूमि से कटा हुआ है. हाल ही में अमेरिकी सेना के यूरोप और अफ्रीका प्रमुख जनरल क्रिस्टोफर डोनह्यू ने इस क्षेत्र पर हमला करने की बात कही थी, जिससे रूस की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई. रूस ने साफ चेतावनी दी है कि अगर कैलिनिनग्राद को कोई खतरा हुआ, तो वह परमाणु हथियारों के उपयोग तक से पीछे नहीं हटेगा.
फिनलैंड और मोल्दोवा को लेकर भी बढ़ी चिंता
रूस का मानना है कि फिनलैंड की नाटो में हालिया एंट्री से पश्चिम को उसके खिलाफ और ज्यादा सामरिक बढ़त मिल गई है. रूसी खुफिया एजेंसी SVR ने यह भी आरोप लगाया है कि नाटो मोल्दोवा को सैन्य अड्डे के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है, जिससे पूर्वी यूरोप में तनाव और अधिक बढ़ सकता है.
रूसी विश्लेषकों और नेताओं की टिप्पणियां
रूसी सैन्य विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से भी स्थिति को लेकर कड़ी चेतावनियां दी गई हैं. रक्षा मामलों के विशेषज्ञ जिमोव्स्की ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर सेंट पीटर्सबर्ग या कैलिनिनग्राद जैसे क्षेत्रों पर हमला होता है, तो यह सीधे विस्तृत युद्ध का मार्ग प्रशस्त करेगा.
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने तो यह तक कह दिया है कि दुनिया पहले से ही तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति में प्रवेश कर चुकी है. उन्होंने इसके लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों को ज़िम्मेदार ठहराया है, जिनकी नीतियां लगातार हालात को और अधिक अस्थिर बना रही हैं.
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