Russia Tsunami: धरती एक बार फिर कांप उठी, इस बार रूस के सुदूर कामचटका प्रायद्वीप में. बुधवार सुबह आए भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि रिक्टर स्केल पर यह 8.8 मापी गई, जो इसे हाल के वर्षों का नहीं, बल्कि 1952 के बाद का सबसे शक्तिशाली भूकंप बनाता है. इस भीषण झटके ने न सिर्फ रूस, बल्कि पूरे प्रशांत क्षेत्र को सतर्क कर दिया है, क्योंकि इससे सुनामी का खतरा कई देशों तक फैल सकता है.
भूवैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्राकृतिक आपदा एक बार फिर यह याद दिलाती है कि "रिंग ऑफ फायर" नामक खतरनाक क्षेत्र कितना सक्रिय और अस्थिर बना हुआ है. यह इलाका दुनिया की सबसे ज्यादा भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों का केंद्र है.
भूकंप का प्रभाव और वैज्ञानिक चेतावनियाँ
रूसी विज्ञान अकादमी की भूभौतिकीय सेवा ने अपने बयान में बताया कि यह भूकंप न केवल तीव्र था, बल्कि इससे तट पर खतरनाक सुनामी लहरें उठीं, जिनसे व्यापक नुकसान की आशंका जताई जा रही है. टेलीग्राम पर जारी एक संदेश में विशेषज्ञों ने यह भी चेताया है कि आने वाले हफ्तों में 7.5 तीव्रता तक के आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद के झटके) महसूस किए जा सकते हैं. ये झटके एक महीने तक जारी रह सकते हैं.
रिंग ऑफ फायर
कामचटका क्षेत्र "रिंग ऑफ फायर" नामक उस भौगोलिक पट्टी का हिस्सा है, जो दुनिया भर के भूकंपों और ज्वालामुखीय विस्फोटों का सबसे बड़ा केंद्र मानी जाती है. यह क्षेत्र करीब 40,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है और दक्षिण अमेरिका से लेकर न्यूज़ीलैंड तक कई देशों को छूता है.
इस रिंग में आने वाले देश
बोलीविया, चिली, इक्वाडोर, पेरू, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, मेक्सिको, अमेरिका, कनाडा, रूस, जापान, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका. यह क्षेत्र पृथ्वी की विवर्तनिक प्लेट्स की लगातार हलचल का परिणाम है, जहां प्लेट्स की टक्कर और घर्षण के कारण बार-बार भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं.
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