दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक असाधारण खगोलीय घटना सामने आ रही है. 2 अगस्त 2027 को एक ऐसा पूर्ण सूर्यग्रहण घटित होने जा रहा है, जिसे 21वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण माना जा रहा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अनुसार, यह ग्रहण अपनी असामान्य अवधि के कारण वैज्ञानिकों और आम लोगों दोनों के लिए बेहद खास होगा.
इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेगा और लगातार 6 मिनट 23 सेकंड तक पूर्ण अंधकार जैसी स्थिति बनी रहेगी. आधुनिक समय में पृथ्वी से देखे जाने वाले सूर्यग्रहणों में यह अवधि सबसे लंबी मानी जा रही है.
सौ साल तक नहीं दिखेगा ऐसा नजारा
खगोल विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी लंबी अवधि वाला पूर्ण सूर्यग्रहण साल 2114 से पहले दोबारा देखने को नहीं मिलेगा. इसका मतलब यह है कि वर्तमान पीढ़ी के अधिकांश लोगों के लिए यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर होगा. इसी वजह से इसे अक्सर “सदी का सूर्यग्रहण” भी कहा जा रहा है.
हालांकि यह पूर्ण सूर्यग्रहण भारत से पूरी तरह दिखाई नहीं देगा. भारत के कुछ हिस्सों में इसे आंशिक सूर्यग्रहण के रूप में देखा जा सकेगा, जिसमें सूर्य का केवल एक भाग चंद्रमा से ढका नजर आएगा.
कहां-कहां दिखाई देगा पूर्ण सूर्यग्रहण
2 अगस्त 2027 को सूर्यग्रहण का पूर्णता पथ (Path of Totality) काफी विस्तृत होगा. यह ग्रहण:
इस ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव मिस्र के ऐतिहासिक शहर लक्सर के आसपास देखने को मिलेगा, जहां पूर्णता की अवधि सबसे लंबी, यानी पूरे 6 मिनट 23 सेकंड तक रहेगी.
पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान क्या-क्या देखने को मिलेगा
जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेगा, तब दिन के समय अचानक शाम या रात जैसा अंधेरा छा जाएगा. इस दौरान कई अनोखी प्राकृतिक घटनाएं देखने को मिल सकती हैं:
इतनी लंबी अवधि तक सूर्य का पूरी तरह ढका रहना वैज्ञानिक अध्ययन के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होता है.
सूर्यग्रहण क्या होता है?
सूर्यग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जो तब घटित होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं और चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है. चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने से अंधकार जैसा अनुभव होता है.
सूर्यग्रहण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
2 अगस्त 2027 का यह सूर्यग्रहण न सिर्फ अपनी लंबी अवधि के कारण खास है, बल्कि इसका विस्तृत पथ और स्पष्ट दृश्यता इसे वैज्ञानिक शोध, फोटोग्राफी और खगोल अवलोकन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है.
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