The JC Show: नमस्कार आप सभी का स्वागत है भारत 24 के खास कार्यक्रम The JC Show में. आज के इस शो में भारत-24 के एडिटर एंड चीफ और सीईओ डॉ. जगदीश चंद्र ने भारत अब सिर्फ साइड चैप्टर नहीं है बल्कि भारत ग्लोबल साउथ के फैसलों को तय करता है दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी विदेशी विजिट को डिकोड किया.
सवालः मोदी चार्म्स G20 आज के हमारे शो की हेडलाइन. इसके मायने क्या है?
जवाबः इसमें कोई संदेह नहीं है कि G20 में नरेंद्र मोदी का जलवा था. उनका रुतबा था. वे आकर्षण का मुख्य केंद्र थे. 18 देशों की जो टॉप लीडरशिप वहां पर थी उनमें से हर कोई नरेंद्र मोदी से मिलने को उत्सुक था. कोई उनसे बात करना चाहता था. कोई उनसे हाथ मिलाना चाहता था. कोई उनसे गले मिलना चाहता था.
कुल मिलाकर कुछ लोग यह भी जानना चाहते थे कि नरेंद्र मोदी भारत में इतने लोकप्रिय कैसे हैं? लगातार एक के बाद एक चुनाव जीतने का उनका क्या फार्मूला है? वो कोविड में इतना अच्छा काम कैसे करते हैं? संसार की तीसरी अर्थव्यवस्था कैसे बनने जा रहे हैं? और राम मंदिर का जो ऐतिहासिक हुआ है, उसकी खबर विदेशों तक पहुंची है. उसमें ज्ञान था कि राम मंदिर का यह होने वाला है. तो लोग यह जानना चाहते हैं विदेशी राजनीयिक और यह कि नरेंद्र मोदी की सफलता का राज क्या है? इसलिए एक अखबार ने लिखा कि यह समिट जी समिट नहीं थी. इट वाज़ ए मोदी समिट. दैट्स ऑल.
सवालः सर आखिर क्या है प्रधानमंत्री मोदी का G20 का दिल दोस्ती और डिप्लोमेसी का फार्मूला?
जवाबः इसका बेसिक फार्मूला यह है कि जो पारंपरिक कूटनीति है फॉरेन मिनिस्ट्री की विदेश मंत्रालय की जो डिप्लोमेसी है, कूटनीति है, उस परंपरागत नीति से हटकर जो है व्यक्तिगत संबंधों और मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देना है. ह्यूमैनिटी फर्स्ट यह एक बेसिक डिफरेंस है. इसलिए कहा जाता है दिल, दोस्ती और डिप्लोमेसी. इनफैक्ट नरेंद्र मोदी है रीडिफाइन इंडियन डिप्लोमेसी इंडियन फॉरेन पॉलिसी एंड दिस इज प्रूविंग अ सुपरहिट फॉर द लास्ट कपल ऑफ इयर्स एंड दैट्स ऑल. तो आइए कुछ तस्वीरें दिखाते हैं G20 समिट की जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आएंगे और सबसे खास बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट पे छाए हुए नजर आते हैं.
सवालः सर आप इसे कैसे देखते हैं? क्या कहेंगे इन तस्वीरों पर?
जवाबः वही तस्वीरें अपने आप में जीती जागती तस्वीरें हैं. यह बताती हैं कैसे नरेंद्र मोदी डोमिनेंट पोजीशन में थी G20 में और जैसे मैंने कहा कि संसार का हर टॉप लीडर उनसे मिलना चाहता था. बैक टू बैक अपॉइंटमेंट थे. वहां पे एंगेजमेंट थे और कुल मिला के देखेंगे तो शायद ही कोई दूसरा प्रधानमंत्री या राष्ट्रध्यक्ष होगा जिसकी इतनी तस्वीरें G20 में खींची होंगी. तो यह तस्वीरें आकर्षक हैं. भारतीय लोगों का मनोबल बढ़ता है और गौरवान्वित महसूस करता है भारत का व्यक्ति कि हमारा प्रधानमंत्री विदेशों में भी जब जाता है तो इतना लोकप्रिय रहता है. ऐसा लगता है कभी-कभी कि वो विदेश में है या इलाहाबाद में है या वाराणसी में है. तो तस्वीरें बहुत ही उत्साहवर्धक हैं और निश्चित तौर पे भारत के नागरिक इसे देख के खुश हुए हैं.
सवालः जहान्सबर्ग यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अद्भुत स्वागत किया गया. अफ्रीकी और भारतीय समुदाय के लोगों की तरफ से हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है. आप क्या कहेंगे इस पर?
जवाबः एक्सजेक्टली यू आर राइट. गर्व का विषय है निश्चित तौर पे जैसे मैंने कहा और नरेंद्र मोदी जहां भी जाते हैं तो स्वागत में कुछ ना कुछ नयापन वहां जरूर होता है. इस बार जब वहां एयरपोर्ट पे उतरे जॉन्सबर्ग में तो वहां पे जो ट्रेडिशनल तरीका है स्वागत करने का वीवीआईपीस के लिए कि वहां की कुछ जो पारंपिक नृत्यांगना हैं जो महिलाएं हैं वो धरती पर लेट के साष्टांग हो के और प्रणाम करती हैं. तो वो दृश्य नरेंद्र मोदी ने देखा. उन्होंने विनम्रता से खुद भी झुके और झुक के उन्होंने प्रणाम किया सलाम किया. बहुत खुश हुए. उन लोगों को भी अच्छा लगा. इसके बाद भारतीय समुदाय के लोगों से मिले नरेंद्र मोदी और मिलने के बाद उन्होंने कहा कि भारतीय समुदाय के लोगों से यहां मिलकर के मुझे बहुत एक अच्छी अनुभूति मुझे यहां पे हुई है और यह प्यार है जो मैं देख रहा हूं यह भारत और दक्षिण अफ्रीका के लोगों के बीच के जो रिश्ते हैं उसको झलकाता है और ये जो रिश्ते हैं इनकी नीव ऐतिहासिक है.
सदियों पुरानी है और आगे जाके और मजबूत होगी. फिर उन्होंने बच्चों को कुछ ऑटोग्राफ्स वगैरह दिए बच्चों के जो है भागवत कथा गणपति कथा जो है वो बच्चों की उन्होंने सुनी कुछ और लोगों से मिले कुछ बच्चों ने कंपटीशन किया था भारत को जानो एक क्विज हुई थी वहां पे उसके विनर्स थे उनसे मिले कुछ टेक्निकल लोगों से मिले तो कुल मिला के नरेंद्र मोदी खुद गदगद थे कि मैं जहां भी जाता हूं मुझे ऐसा महसूस होता है कि एक मिनी इंडिया यहां भी पहले से ही मौजूद है.
सवालः सर मैंने देखा है जब भी किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पीएम नरेंद्र मोदी और इटली की पीएम हेलोनी के बीच मुलाकात होती है लाइट मूड में हंसीज़ाक होता है. वो जो पल होते हैं सर वो पूरे वर्ल्ड में सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं. और चौहान्सबर्ग में भी ऐसा ही हुआ. सर आप इस केमिस्ट्री को कैसे देखते हैं?
जवाबः यह केमिस्ट्री अद्भुत है, सुपरहिट है. इसलिए संसार के सारे लोग इसे देख के आकर्षित होते हैं. एंड दिस आल्सो इंडिकेट्स नरेंद्र मोदी इस वेरी पॉपुलर अमंग वुमेन एंड यंग क्राउड जिसे कहते हैं. एंड लुक एट ह ड्रेस सेंस हाउ हैंडसम ही लुक्स. आप देखिए प्रधानमंत्री को और ये तो सदियों से रहा है कि संसार के सुंदर स्त्रियां जो है वो पावरफुल शास्त्रों के प्रति आकर्षित होती रही हैं. तो मेलोनी इज़ नो मोर एक्सेप्शन.
अच्छी बात है. भारत इटली के लोग यह चाहते हैं कि दोनों देशों के संबंध और मजबूत हो. दोनों देश और नजदीक आए. आर्थिक राजनीतिक क्षेत्रों में नए-नए समझौते करें. तो कुल मिला के ये एक सुपरहिट कॉम्बिनेशन इस तरह का बनता है. इसको वर्ल्ड का जो मीडिया है, सोशल मीडिया है वो इसे बहुत अच्छे से और रोमांचिक ढंग से इसको प्रस्तुत करता है. एंड नथिंग इज रोंग इन दिस. और दूसरी बात क्या है? उन्होंने किताब लिखी थी कुछ दिनों पहले. माय नेम इज जॉर्ज जिया. तो नरेंद्र मोदी ने उसकी प्रस्तावना में लिखा कि असाधारण यह प्रशासक हैं. असाधारण शासक हैं. असाधारण महिला हैं. और किताब इनके मन की बात है. दिल के विचार हैं. इन्होंने रखे हैं. तो खुश थी. फिर जो 75th बर्थडे था प्राइम मिनिस्टर का तो उन्होंने शुभकामनाएं भेजी, चित्र भेजे तो ठीक है. इट्स अ ग्रोइंग डिप्लोमेटिक फ्रेंडशिप रिलेशनशिप. वी शुड बी वेलकम इन ऑल एरियाज ऑफ़ द वर्ल्ड.
सवालः सर यह मैंने हमेशा से देखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाते हैं तो लाइट, कैमरा, हेडलाइंस सब कुछ उनकी तरफ आकर्षित हो जाती हैं. इस फिनोमिना को आप कैसे रीड करते हैं?
जवाबः उनका व्यक्तित्व ऐसा है. फिर दैविक शक्ति है. मैंने कहा कोई ना कोई शक्ति ऐसी है उनके पास जो उन्हें इस तरह से लोग आकर्षित होते हैं उनकी तरफ और जहां तक आकर्षण का सवाल है तो भारत ही नहीं विदेशों में कितने फंक्शनंस में हमने देखा है कि जहां भी जाते हैं क्राउड भाग के उनके पास पहुंचती है.
कैमरा लाइट आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं. एक व्यक्ति संसार में और है जिस पे कैमरा की लाइट पड़ती है नरेंद्र मोदी की तरह उसका नाम है ट्रंप. लेकिन ट्रंप इस फॉर नेगेटिव रीज़ंस. मोदी इस फॉर पॉजिटिव रीज़ंस. तो सच है आपकी बात नरेंद्र मोदी गुजरात के चीफ मिनिस्टर थे तब भी स्थिति थी जहां भी जाते थे सारा मीडिया लाइट कैमरा सब लाइट हेडलाइंस उन्हीं पर बनती थी और आज भी उन्हीं पे बनती है आप देखिए समाचार पत्रों में कंपटीशन रहता है कि नरेंद्र मोदी की बेस्ट हेडलाइन जो है कौन दे कौन कवर करे उसको आप विदेश में गए तो खासकर अंग्रेजी के अखबारों में कंपटीशन था कि बेटर हेडलाइन किसकी हो तो यह है गॉड गिफ्ट है उनकी खुद की मेहनत है उनके वाणी पे सरस्वती बैठती है. जब वो बोलते हैं तो और कुल मिलाकर उनका व्यक्तित्व तो ऐसा है जो इसमें ग्लोबली एक्सेप्ट हो चुका है कि एक आकर्षक व्यक्ति हैं और लोकप्रिय व्यक्ति हैं. इसलिए मीडिया उनकी तरफ दौड़ता है जब भी है वह. सो दिस इज़ ऑल नेचुरल. राइट.
सवालः सर इस बार G20 सम्मेलन की जो बेसिक थीम थी वो क्या थी?
जवाबः वो थी आपकी यूनिटी, इक्वलिटी और आप कहिए उसको के सस्टेनेबिलिटी जो है इस तरह से था कि स्थाई विकास का एक होना चाहिए. और नरेंद्र मोदी ने एक और अच्छा फार्मूला वहां पे दिया. वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर विजन. इसका मतलब यह है कि सब लोग इकट्ठे होकर रहो, यूनाइट होकर रहो. और एक व्यक्ति ने बहुत अच्छा लिखा उसके ऊपर.
उन्होंने कहा कि मैं हूं क्योंकि हम हैं. मैं हूं क्योंकि हम हैं. और अगर एक भी देश पीछे छूट गया तो सारी दुनिया हार जाएगी. ये बेसिक कांसेप्ट है उनका जो है. तो बेसिक ये कि यूनिटी एंड इक्वलिटी और एक जो सस्टेनेबल जो है डेवलपमेंट वो संसार में दिखना चाहिए. दिस इज़ नरेंद्र मोदी फार्मूला व्हिच हैज़ बीन पिक्ड अप बाय G20 आल्सो.
सवालः सर G20 में इंक्लूसिव एंड सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से छह बड़े प्रस्ताव दिए गए हैं उनको आप किस तरह से देखते हैं?
जवाबः देखिए प्रस्ताव मुख्य तौर पे जो सर्वांगीण विकास है सब देशों का जिसमें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल है जिसमें हेल्थ शामिल है, जिसमें डेवलपमेंट शामिल है. उन सब क्षेत्रों को ये कवर करते हैं कुल मिला के. और अगर हम इसको थोड़ा सा बफरकेट करके देखें कि प्रस्ताव क्या-क्या हैं तो मोटे तौर पर आप इन्हें कह सकते हैं कि हेल्थ केयर रिस्पांस से रिलेटेड प्रस्ताव है. दूसरा प्रस्ताव है सेटेलाइट डाटा के पार्टनरशिप जो होती है उससे रिलेटेड प्रस्ताव है.
देन स्किल मल्टीप्लायर इनिशिएटिव का प्रस्ताव है. क्रिटिकल मिनरल्स का प्रस्ताव है. ड्रग टेरर नेक्सेसिस प्रस्ताव है. ये सारे प्रस्ताव ऐसे हैं जो आज संसार की जो समस्याएं जो ग्लोबल थ्रेट्स हैं उनको डील करते हैं. वन और दूसरा यह है कि संसार के जी राष्ट्रों के बीच में संबंध आर्थिक और कैसे मजबूत हो और जो चेतावनी है उनको हम जैसे ड्रग नेक्सेस की बात आ रही है वो चेतावनी हम दें तो ये सारे प्रस्ताव महत्वपूर्ण प्रस्ताव थे छह प्रस्ताव थे और उन प्रस्तावों को वहां पे स्वीकार किया गया और नरेंद्र मोदी ने तीन सेशन थे तीनों में वहां पे जो है भाग लिया और उनका रिस्पांस जो है जी20 कंट्री के जो आए हुए थे बहुत अच्छा था तो ये छह प्रस्ताव बड़े रेलेवेंट थे और सब राष्ट्रों ने और जी20 ने इसे अडॉप किया.
सवालः सर क्या इन छह प्रस्ताव के अलावा क्या कोई और भी भारत से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण घोषणाएं हुई हैं?
जवाबः हां, एक घोषणा उसमें यह हुई थी वही कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ में जो है जिसे कहते हैं बटरल ट्रीटरल एक एग्रीमेंट हुआ इन तीनों देशों के बीच में भारत और ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के बीच में जो है ये उसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दूसरा फिर ये कहा गया कि भ ग्लोबल फ्रेमवर्क होना चाहिए जो है टेलीकॉम के लिए कनेक्शन के लिए और मोबिलिटी के लिए.
फिर नरेंद्र मोदी ने एक बात और कही वहां पे बड़ी इंपॉर्टेंट उन्होंने कहा कि हमारा जो फोकस है वो आज के जॉब पे नहीं नॉट ऑन जॉब्स ऑफ टुडे बट इट शुड बी फोकस्ड ऑन द पॉसिबिलिटीज ऑफ़ टुमारो कल क्या आने वाला है उसको हम चलें कल की योजना हम देख के चलें तो ये दो तीन चीजें थी जो उन छह प्रस्तावों से हटके थी और बाकी कुछ राष्ट्र अध्यक्षों से उनके अलग से बैठक हुई उसमें जो बटरल इशूज़ उन पे बातचीत हुई लेकिन मुख्यत ये तीन प्रस्ताव थे उन छह प्रस्तावों के अलावा जो थे ये इनफॉर्मल प्रस्ताव थे जी
सवालः सर ट्रंप द्वारा G20 के अघोषित बहिष्कार को आप कैसे देखते हैं और Questions अगर इसके अQuestions की बात करें तो G20 के भविष्य पर इसका क्या असर पड़ेगा?
जवाबः इट्स रियली अनफॉर्चूनेट फॉर द फर्स्ट टाइम से 1999 विल फुल्ली सेंटेड फ्रॉम द कॉनक्लेव और इट अनप्रेसिडेंटेड ब्रेक इन द ट्रेडिशन ऑफ़ जी20 जिसे कहा जाए लेकिन संसार में कोई काम रुकता नहीं है और नथिंग इस इनडिस्पेंसबल तो 18 राष्ट्रों ने मिलके ट्रंप की नाराजगी और इसके बावजूद जो है अर्ली रेजोलेशन जो है उसको पास किया प्रस्ताव को जो है और बिल्कुल चेहरे पे शिकन नहीं आने के ट्रंप का विरोध है या इनके प्रति विरोध नहीं है.
तो किसी ने उसको महसूस नहीं किया. लेकिन इसका दूसरा मतलब यह निकलता है कि ट्रंप जो है इस ट्राइंग टू बिट्रे बेसिक जिसे कहना चाहिए ऑ्गेनाइजेशन जो बने हुए हैं चाहे वो डब्ल्यूho है या ये जी20 है ही डजंट वांट टू कम अप एनी अदर ऑ्गेनाइजेशन व्हिच कैन बी अ चैलेंज टू ह अथॉरिटी एट द ग्लोबल लेवल जो है और फिर दूसरा आपने इसके असर की जो बात आप कह रहे हैं असर तो देखो डिजास्टर्स होता है बेसिकली जो पूअर नेशंस हैं अफ्रीका के 20 राष्ट्र हैं आप मानिए उनका जो डे फ्री है डे में जो रिलीफ देते हैं उसमें दिक्कत आएगी उसमें में इस समय जो है 100 ट्रिलियन डॉलर का जो डेप्ट है इन 20 राष्ट्रों पे है जिनको उम्मीद थी कि जी20 हमारी मदद करता है.
तो अब इसका दूसरा मतलब यह है कि ट्रंप इस ट्राइंग टू मेक ए डिस्टेंस फ्रॉम द अंडर डेवलप्ड एंड डेवलपिंग नेशंस एस फ एस फाइनेंसियल हेल्प इज कंसर्न इट बेसिकली बिट्रेल टू द ग्लोबल रोल ऑफ़ अमेरिका जो सदियों से चलता आ रहा है ये. तो ये इतना सा इंपैक्ट है इसका और वो आने वाले साल में देखने को मिलेगा. लेकिन करज एंड कन्वेक्शन ऑफ दी कंट्रीज मस्ट बी एप्रिशिएटेड कि ट्रंप के विरोध के बावजूद इन्होंने सम्मेलन किया अर्ली रेोलशन अर्ली डिक्लेरेशन को पास किया और जिसे कहना चाहिए कि छाती ठोक के ट्रंप के सामने लोग खड़े रहे.
सवालः आपको लगता है सर कि ट्रंप के इस नेगेटिव एटीट्यूड या उनके नेगेटिव रवय के बाद अमेरिका अगले साल G20 की मेजबानी करेगा?
जवाबः मुश्किल लगता है इन ए वे अभी देखिए कितना इंसल्टिंग वहां पर जो इंसिडेंट हुआ अब अमेरिका का नंबर है एक्स की प्रेसिडेंसी करने का तो हैंडओवर लेना होता है तो दक्षिण अफ्रीका से हैंडओवर उनको लेना था अमेरिका ने भाग नहीं लिया मैसेज गया कोई मंत्री आता वहां से एंबेसडर आता कोई नहीं आया तो फिर यह तय हुआ इला पे कि जो अमेरिकी दूतावास है जॉनसबर्ग में उसका एक कर्मचारी वो हैंड ओवर लेने चला जाए वो गया वहां पे राष्ट्रपति ने दक्षिण अफ्रीका के उन्होंने मना कर दिया का इट्स एन इंसे टू द इंस्टिट्यूशन ऑफ़ प्रेसिडेंट ऐसा हम नहीं करेंगे तो इतनी जहां अपमानजनक बातें हो रही है घटनाएं हो रही हैं तो मुझे लगता नहीं है कि ट्रंप उसको करेंगे और करेंगे तो उसका तोड़ मरोड़ देंगे उसको उसका जो बेसिक सेंस है उसका वो खत्म हो जाएगा तो इट इज़ अ सीरियस थ्रेट फॉर द जी20 कंट्रीज कि अगले साल ट्रंप क्या करते हैं इस पे दिस इज टू बी सीन.
सवालः सर कुछ लोगों का कहना है कि हालांकि जी20 डिक्लेरेशन में यूक्रेन और टेरर से जुड़े हुए मसलों पर बातचीत हुई लेकिन गाज़ा पर G20 मौन रहा. ऐसा क्यों?
जवाबः ऐसा इसलिए कि हर व्यक्ति के अपने कुछ पॉलिटिकल कंपल्शनंस होते हैं. ची के भी क्या है कि सर्टेन एरियाज हैं वेयर जी हैज़ फेल टू मैनेज कंट्राडिक्शन. तो गाजा इज़ वन ऑफ़ देम इन अ वे. लेकिन उन्होंने ये प्रस्ताव जरूर पास किया है कि जो अटैक हैं कंट्री का नाम नहीं लिया उन्होंने इजराइल या किसी का. और ये कहा कि जो अटैक हैं वो सिविलियन पे नहीं होने चाहिए. इंफ्रास्ट्रक्चर पे पावर प्रोजेक्ट्स हैं, सब हॉस्पिटल्स हैं इन सब पे नहीं होने चाहिए. ये जरूर कहा उन्होंने. लेकिन बिकॉज़ ऑफ़ पॉलिटिकल रीज़ंस दे हैव एस्केप्ड टू मेक अ स्पेसिफिक मेंशन अबाउट गाज़ा इन देयर रिलेशन. जो है.
सवालः सर पीएम मोदी ने सभी राष्ट्रों को दो टू के चेतावनी दी और कहा कि देयर शुड बी नो रूम फॉर डबल स्टैंडर्ड्स इन ग्लोबल टेरर फाइट. ये आवाज ट्रंप तक भी पहुंच रही है क्या?
जवाबः आप सही कह रहे हैं. आवाज थी तो ट्रंप के लिए ये बात ट्रंप के लिए की गई थी. क्योंकि ट्रंप आए थे शुरू में तो कहा था आतंकवाद को समाप्त करने में. अमेरिका भारत के साथ है. क्या हुआ? जो मुनीर है जो आतंकवाद का प्रतीक है नॉट ओनली भारत पाकिस्तान में ग्लोबल लेवल पर जो जितना आतंकवाद है उसका जो प्रणेता है पाकिस्तान है वहां के आर्मी चीफ रहे हैं तो उसको उन्होंने लंच में बुलाया गले लगाया बिनेस के रिश्ते किए उसके साथ में एट द कॉस्ट ऑफ इंडियन सेंटीमेंट आप देखिए तो डबल स्टैंड इससे बड़ा क्या हो सकता है तो प्रधानमंत्री ने नाम लिए बिना इशारेइशारे में ये कहा है कि जो ट्रंप कर रहा है भाई ऐसा मत करो ऐसा कोई और देश मत करे वरना फेल हो जाएगा इन अ वे जो है ये उसमें फिर जो है नरेंद्र मोदी ने दो टू ये चेतावनी दी सभी देशों को कि इट्स वेरी डेंजरस बी केयरफुल एक्ट नाउ एक्ट नाउ अदरवाइज इट विल बी टू लेट टू एक्ट अगेंस्ट ऑल दिस टेरर एंड दिस.
सवालः सर पाकिस्तान के डिफेंस चीफ मुनीर एशिया महाद्वीप में शांति के लिए बहुत बड़ा खतरा है. कुछ लोग यह कहते हैं क्या आपको भी ऐसा लगता है और आपको क्या लगता है कहां जाकर अंत होगा ट्रंप के फेवरेट मुनीर की महत्वाकांक्षाओं का?
जवाबः अब्सोलुटली राइट. एक्चुअली एक आदमी ने बिल्कुल ठीक लिखा है एक पत्रकार ने. उसने कहा है कि यह जो पावर सत्ता को जो कंट्रोल करने की इच्छा है मुनीर की ये दक्षिण एशिया कहिए या भारत कहिए, पड़ोसी राष्ट्र कहिए उनके लिए गंभीर खतरा है. और उसने कहा है कि पाकिस्तान इज नो लगर स्टेट विद इन द स्टेट. नाउ इट हैज़ बिकम द स्टेट. मतलब वहां का सारा कंट्रोल जो है मुनीर के हाथ में आ गया है. और मुनीर ने क्या किया है?
पार्लियामेंट में अपने दबाव से 27 अमेंडमेंट वहां पर हुआ है. उसका पहला परिणाम यह है कि मुनीर इज डेजगनेटेड एस अ चीफ ऑफ ऑल डिफेंस फर्सेस एंड ही है स्वीपिंग पावर्स ऑन ऑल आर्म्स ऑफ आर्मी नेवी एयरफोर्स ऑल दिस थिंग्स पांच साल तक वो रहेंगे डिफेंस चीफ जो है फील्ड मास्टर पहले ही थे वो उनके खिलाफ किसी कोर्ट में कोई केस नहीं हो सकेगा उनके जीवन भर में लीगल इम्युनिटी रहेगी उनके पार्लियामेंट से उन्होंने पास करवाया 9 मिनट में कोई बहस जिसप वहां पे नहीं हुई इतना ही नहीं इसके बाद में आगे चले ही बोट सो अमेंडमेंट्स वेयर ही कंट्रोलिंग जुडिशरी आल्सो नाउ ही हैज़ बीन गिवन सब्सटेंशियल कंट्रोल ओवर जुडिशरी ही हैज़ क्रिएटेड ए सेपरेट कोर्ट ओवर सुप्रीम कोर्ट एंड दैट इज़ फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट व्हिच कैन रिवर्स द जजमेंट ऑफ़ सुप्रीम कोर्ट इन वन और द अदर वे. तो इन दिस वे जुडिशियल इंडिपेंडेंस इन पाकिस्तान हैज़ बीन न्यूट्रलाइज्ड और हैज़ बीन डिस्मेंटल्ड टोटली. तो इट्स अ पॉइंट ऑफ कंसर्न फॉर एवरीबडी. और दूसरा आप कह रहे थे कि उसका जो है शांति के लिए खतरा है. ऑफकोर्स खतरा है.
फेवर्ड है ट्रंप के. अब देखिए पिछले दो महीनों से लगातार वो धमकी दे रहे हैं भारत पे परमाणु हमला करने की. जब भी राजनाथ कुछ कहते हैं तो पलट के परमाणु धमकी की भाषा में वो जवाब देते हैं. और पिछली बार ऐसा लगा जो ट्रंप ने कहा कि मैंने समझौता करवाया. चलो वो बात तो गलत होगी. मुझे लगता है कि ट्रंप के पास यह इन शायद करेक्ट थी कि पाकिस्तान वास्तव में कहीं ना कहीं परमाणु हमला करने वाला था. वो मूर्ख था वो दुस्साहस वो कर सकता था. भारत सरकार कहती है ब्लफ था उसका मान लेते हैं.
लेकिन ये बातें करतेकरते वो परमाणु हथियारों के प्रयोग के इतने निकट आ चुका है मुनीर कि कभी वो कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. इधर भारत जो है ना जिसे कहना चाहिए ऑपरेशन सिंदूर के पार्ट टू के लिए तैयार है. अभी राजनाथ सिंह ने कहा है कि बॉर्डर कभी बदल सकती है. तो ऐसी स्थिति में जहां दोनों राष्ट्र युद्ध के लिए तैयार हैं. एक तरह से ऐसी स्थिति में उसका जो दुस्सा है उसका मिस एडवेंचर है जो परमाणु का तो बहुत खतरनाक बात है. एक्चुअली हम लोग जो है इस समय भारत और पाकिस्तान के संभावित युद्ध को देखते हुए बारूद के ढेर पे खड़े हैं. नो वन नोज़ व्हाट विल हैपन इन द कमिंग डेज.
सवालः सर ट्रंप की इच्छा के खिलाफ G20 ने क्लाइमेट चेंज पर जो डिक्लेरेशन अडॉप्ट किया है उसे आप कैसे देखते हैं और सर ये जो घटनाएं हैं यह ग्लोबल पॉलिटिक्स में ट्रंप के घटते हुए प्रभाव का प्रतीक है?
जवाबः ऑफकोर्स ही इज़ लूजिंग पॉपुलरिटी. अभी एक सर्वे हुआ है. 24 डेमोक्रेट कंट्रीज हैं. 24 में जो है 19 कंट्रीज ने कहा है वी डोंट लाइक ट्रंप. वी डोंट बिलीव इन ह लीडरशिप. और एक्चुअली स्थिति संसार में कुछ ऐसी हो गई है कि पीपल हेट हिम. एवरीवन वांट दैट ही स्टेप्स डाउन फ्रॉम द प्रेसिडेंसी. क्लाइमेट चेंज का क्या है? ट्रंप ने आते ही पैसा बंद किया था. पेरिस डिक्लेरेशन को बंद किया था. उस समय जो है नाउ पीपल आर नॉट बोदर्ड अबाउट ट्रंप. G20 ने कहा हम अपने साधनों से जो कुछ हो सकता है करेंगे. ट्रंप की परवाह नहीं करेंगे. तो ये बात सही है आपकी कि ट्रंप मस्ट बी एनर्ड बट दीज़ पीपल नाउ G20 डजंट बोदर मच अबाउट ट्रंप एंड दे आर गोइंग विद देयर प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज.
सवालः सर नरेंद्र मोदी ने ड्रग और टेरर नेक्सिस और उनकी फंडिंग का भी जिक्र किया. यह कहा कि इट इज आल्सो अ ग्लोबल थ्रेट नाउ यू एक्ट अदरवाइज इट विल बी टू लेट. आप अग्री करते हैं प्रधानमंत्री मोदी किस कंस?
जवाबः बिल्कुल सही कह रहे हैं. जैसा उन्होंने टेरर के लिए कहा था वैसा उन्होंने कहा कि एक्ट ना हो. अदरवाइज इट विल बी टू लेट. और ये बहुत बड़ा नेक्सेस है ड्रग का. टेरर का तो आप देखिए सारे संसार में हम पढ़ते हैं. एक देश इनवोल्व नहीं संसार के कितने देश इनवोल्व हैं. कितने देश इनवोल्व हैं जहां आतंकवाद है. ड्रग और टेरर का एक ऐसा नेक्सेस बन गया है जिसको तोड़ना बहुत जरूरी है. संसार की इस चिंता को नरेंद्र मोदी ने वहां उजागर किया.
सबका ध्यान आकर्षित किया. जानते सब हैं. लेकिन हर एक की अपनी लिमिटेशंस हैं. बट स्टिल मोदी विल ऑलवेज स्टैंड टॉल एस फ एक्शन अगेंस्ट टेररिम इस कंसर्न. और भारत में अमित शाह हैं. आप देखते हैं आतंकवाद की समाप्ति के लिए कर रहे हैं इनब्सेंस ऑफ़ नरेंद्र मोदी है. तो नरेंद्र मोदी की चिंता स्वाभाविक है. एट अ पॉइंट ऑफ कंसर्न अब देखना ये है कि संसार के जो बड़े देश इनवॉल्वड हैं इसमें ड्रग ट्रैफिकिंग में और टेरर एक्टिविटीज में हथियारों में जो है ये कितना ध्यान दे पाते हैं बिकॉज़ दे आर वेस्टेड इंटरेस्ट पर पॉइंट इज़ वै सीरियस व्हिच ही हैज़ रेस्ड.
सवालः सर एक बार फिर से G20 समिट में नजर आया कि ग्लोबल साउथ की जो लीडरशिप है वो प्रधानमंत्री मोदी के हाथ में आ गई है. तो प्रधानमंत्री मोदी की ये पूरी जो लीडरशिप है उसका एजेंडा क्या है?
जवाबः ग्लोबल साउथ को लेकर क्या एजेंडा है? देखिए नरेंद्र मोदी हैज़ वर्चुअली टेकन द लीडरशिप ऑफ ग्लोबल साउथ. इसमें कोई शक नहीं है. कारण ये कि चाइना से टक्कर कोई अकेला आदमी नहीं ले सकता. नरेंद्र मोदी इन सभी राष्ट्रों का नेतृत्व करते हैं. और धीरे-धीरे ऐसे जा रही हैं और जो साउथ चाइना सी है मेन झगड़ा उसी का है. आप देखते हैं तो नरेंद्र मोदी का जो मेन फोकस है ग्लोबल साउथ का उनका यह है कि ग्लोबल साउथ मस्ट हैव ए बिगर से इन द डिसीजन मेकिंग प्रोसेस जिसे कहना चाहिए वर्ल्ड ऑर्डर है उसमें इन राष्ट्रों का महत्व इन राष्ट्रों के आवास को ज्यादा महत्व दिया जाए.
दूसरा उनका कहना है कि राष्ट्रों की जो संप्रभुता है, स्वर्जेंटी है उसका सम्मान हो. ये नहीं कम आज यहां घुस गया रशिया वहां घुस गया उसका सम्मान होना चाहिए और तीसरा क्या है कि फ्री मूवमेंट होना चाहिए ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन एंड ऑल स्पेशली विद रेफरेंस टू साउथ चाइना सी ये तीन उनके बेसिक बातें हैं जो बरसों से वो कह रहे हैं. तो ऑल दीज़ पॉइंट्स आर हाईली एप्रिशिएटेड बाय जी कंट्रीज बाय ग्लोबल साउथ कंट्रीज एंड दिस नरेंद्र मोदी इस स्लोली इमर्जिंग एस अ पावरफुल लीडर ऑफ ग्लोबल साउथ.
सवालः सर G20 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग को रोकने की बात कही है. यह जो मैटर है कितना सीरियस और रेलेवेंट है?
जवाबः 21वीं सदी का सबसे बड़ा खतरा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसको सब मानते हैं. नरेंद्र मोदी क्योंकि अलर्ट हैं, जागरूक हैं. विषय के टच में रहते हैं. एंड परहप्स ही इज़ अमंग ए वेरी फ्यू पॉलिटिशियंस जो टेक्नोलॉजी के इतना करीब रहते हैं पीएमओ में. उन पर पकड़ रहती है उसकी. इसका खतरा जानते हैं.
उन्होंने इस मुद्दे को वहां भी उठाया, इसको फ्लैग किया और उन्होंने कहा कि इट शुड बी यूज्ड ओनली फॉर गुड पर्पसेस. इट शुड नेवर बी यूज्ड फॉर अदर बैड थिंग्स. रादर इट शुड बी यूज्ड ओनली टू कंट्रोल क्राइम एंड टेरर जो है. एंड इट शुड बी अकाउंटेबल आल्सो. इट शुड बी रेस्पोंसिबल आल्सो फॉर देयर अचीवमेंट्स और फॉर देयर एक्सपेरिमेंट्स और देयर नेगेटिव डीड्स एंड ऑल दैट. तो एग्जजेक्टली ही रे द सीरियस ऑफ द इशू व्हिच वास एप्रिशिएटेड बाय ऑल द कंट्रीज पार्टिसिपेटिंग इन जी20.
सवालः सर क्रिटिकल मिनरल्स मोनोपोली का मुद्दा एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 में उठाया. ये पूरा मामला क्या है?
जवाबः पूरा मामला है. कुछ राष्ट्रों के पास में क्रिटिकल जो मिनरल्स हैं उनकी मोनोपोली है. चाइना हो गया कुछ और देश हो जिनके पास में मोनोपोली है. काम सबका पड़ता है. वो बारगेन करते हैं. प्रेशर करते हैं. ट्रंप के टेरिफ की तरह ये दूसरा टेरिफ थ्रेट है. एक तरह से क्रिटिकल मिनरल चाहिए सबको. तो नरेंद्र मोदी इस मुद्दे को उठाया कि कुछ राष्ट्रों या कुछ व्यक्तियों के हाथ में ये मिनरल रहे. ये ठीक नहीं है. इस अगेंस्ट डेमोक्रेटिक प्रिंसिपल्स एंड अगेंस्ट द पब्लिक इंटरेस्ट.
इसी का इशारा करते उन्होंने उसकी ओर भी इशारा किया है कि अब ट्रंप जो है सारे संसार में जितने क्रिटिकल मिनरल्स हैं उनको एक्वायर करना चाहता है. जस्ट किसी से बिजनेस डील करता है तो पहले कहते हैं कि मैं आपके इतने परसेंट जो है ना क्रिटिकल मिनरल मुझे चाहिए पाकिस्तान से लिए चाइना से भी लिए. तो यह जो ट्रेंड है ना जिसे कहना चाहिए कि मोनोपोली ऑफ क्रिटिकल मिनरल्स वि आर नेसेसरी फॉर द डेवलपमेंट ऑफ एवरी नेशन दिस मोनोपोली शुड बी ब्रोकन जिसे कहना स्कैटर्ड इन अ वे मोनोपोली शुड नॉट बी देयर जो है तो ये उनका कहना था तो सही है.
सवालः सर क्या आपको ऐसा लगता है कि जोहान्सबर्ग में जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्राइम मिनिस्टर के बीच एक अच्छी मुलाकात हुई है क्या इसके बाद हमारे जो रिश्ते हैं वो कनाडा से सुधरेंगे?
जवाबः अबब्सोलुटली ऑलरेडी ऑलरेडी इंप्रूवमेंट इज देयर. अभी नरेंद्र मोदी से मिले थे वहां के प्रधानमंत्री. अब वो दिल्ली आ रहे हैं 2026 में नेक्स्ट शायद जल्दी आएंगे आकर के. तो सबसे पहली बात है कि ट्रेड डील की बात चल रही है. व्यापार बहुत अच्छा है. कनाडा के साथ हमारा जो है और आप देखिए पिछले जो पिछला फाइनेंसियल ईयर गया है इसमें 24.24 बिलियन डॉलर का जो है व्यापार था. तो भारत चाहता है व्यापार बढ़े. भारत के लोग वहां बहुत हैं. आप देखिए वहां पर कि 29 लाख तो पहले से भारतीय हैं. 4 लाख स्टूडेंट गए हुए हैं. 33 34 लाख लोग वहां पे हैं और बहुत अच्छा चल रहा था.
पिछले प्राइम मिनिस्टर ने ठीक से हैंडल नहीं किया उसको. नाउ वी आर होपफुल दैट एवरीथिंग विल बी ऑन ऑनलाइन. पटरी भी चीजें आ जाएंगी. आई थिंक इन द कमिंग सिक्स मंथ्स और सो दिस मीटिंग ऑफ़ प्राइम मिनिस्टर विद कनाडा प्राइम मिनिस्टर एट ज्सपर हैज़ प्रूव्ड टू बी क्वाइट यूज़फुल.
सवालः सर दशकों पुराने इंडिया और साउथ अफ्रीका के रिश्ते को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः रिश्ता तो बहुत ऐतिहासिक है. देखो महात्मा गांधी के समय से सत्याग्रह आंदोलन किया था. जी उसका से व्यापार का रिश्ता है. साउथ अफ्रीका हमारा फोर्थ लार्जेस्ट बिजनेस पार्टनर है और पॉलिटिकली सेंसिटिव है. आप देखिए ना ग्लोबल साउथ इन सब में हमारा साथी है. वहां के जो राष्ट्रपति हैं उनके नरेंद्र मोदी से बहुत बनती है अभी जो है. तो एक पावरफुल पॉलिटिकल अलायंस अगेंस्ट आपके अगेंस्ट अमेरिका और अगेंस्ट चाइना जो है ना ही इज़ एमर्जिंग इन दैट एरिया वेयर साउथ अफ्रीका इज़ अ प्रिंसिपल पार्टनर एंड ही इज़ क्लोज टू इंडिया. ही इज़ क्लोज टू इंडियन प्राइम मिनिस्टर. सो रिश्ते जो ऐतिहासिक थे आज की तारीख में भी उतने ही रेलेवेंट है और आने वाले दिनों में यह रिश्ते और मजबूत होंगे पॉलिटिकली भी और ट्रेड वाइज भी. दिस इज एक्सपेक्टेड.
सवालः सर इस बार G20 में फिर से भारत की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता का मुद्दा उठा. आखिर कौन आड़े आ रहा है हमारे इस काम में?
जवाबः देखिए आड़े तो चाइना आ रहा है. और स्थाई पांच मेंबर हैं सुरक्षा परिषद में. रशिया, चाइना, अमेरिका और ब्रिटेन और फ्रांस प्रस्ताव आता है. चाइना वीटो कर देता है स्पों्सर्ड बाय पाकिस्तान. तो भारत कोशिश कर रहा है कि हम खुद भी बैठ जाए आके यहां. तो ये क्रिटिकल मुद्दे हैं. कश्मीर का मुद्दा है, परमाणु मुद्दा है.
इन मुद्दों पे हमारा से हो. हम डिसीजन मेकिंग प्रोसेस का इफेक्टिव पार्ट बने यहां पे जो है. तो कोशिश चल रही है 1994 से. देखिए और अब कोशिश में क्या है कि कुल 193 है देश और उसमें 150 इंडिया को सपोर्ट कर रहे हैं ऑलरेडी कि हमें कोई दिक्कत नहीं है. हालांकि दो एक देश और भी आना चाहते हैं. दो तीन देश आना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया आना चाहता है, ब्राजील आना चाहता है, जापान आना चाहता है. उनके अपनी जगह है. दे ऑल आर सपोर्टिंग अस. सो दिस इज टू बी सीन कि कब होता है. लेकिन फिलहाल तो है चाइना ने हमारा रास्ता रोक रखा है. लेट्स सी वो दिन कब आता है जब सुरक्षा परिषद में. लेकिन आप मेंबर बने या नहीं बने. योर वॉइस ऑफ इंडिया. योर वॉइस ऑफ़ नरेंद्र मोदी इज़ ऑलरेडी देयर. इज़ एज गुड एज इंडिया इज़ अ मेंबर ऑफ़ यूएन सिक्योरिटी काउंसिल. एज गुड एज दैट जो है बट स्टिल इंडिया शुड बी फॉर्मली ऑन द बोर्ड. सो लेट्स सी एंड दैट गुड मोमेंट कम्स. परफेक्टली सेड सर. और हिंदी का एक गाना है तेरा जादू चल गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है तेरा जादू चल गया वो भी ग्लोबल मंचों पर दिल दोस्ती डिप्लोमेसी का जो फार्मूला है वो प्रधानमंत्री मोदी का हिट है.
सिर्फ भारतीय जनता नहीं मुरीद है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी की ग्लोबल रैंकिंग टॉप पर यह दिखाती है कि पूरी दुनिया उनकी एक मुरीद है. प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ वो नहीं है जो समस्या बताते हैं बल्कि वह समस्या के समाधान की तरफ पूरे देश को लेकर चलते हैं. देश में विकास की बात करते हैं तो दुनिया को भी विकास के पद पर ले जाना चाहते हैं. देश में यूनिटी की बात करते हैं तो दुनिया को भी यूनिटी के साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं. यानी वसुदेव कुटुंबकम का जो भारत का धेय है. प्रधानमंत्री मोदी वह चेहरा है जो उसे ग्लोबल मंच पर लेकर गए हैं और यही भारत की बढ़ती और उभरती ताकत को दर्शाता है.
यह भी पढ़ें: The JC Show: धर्म ध्वजा समारोह में एक प्रधानमंत्री नहीं राम भक्त खड़ा था!