देश के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून की तारीख एक गहरे धब्बे के रूप में दर्ज है. आज आपातकाल लगाए जाने के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने इसे 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में याद किया. पीएम मोदी ने इस अवसर पर एक नई किताब का ज़िक्र भी किया, जो उनके आपातकाल के दौरान के संघर्षों को उजागर करती है.
‘द इमरजेंसी डायरीज’: पीएम मोदी की आपातकाल यात्रा पर केंद्रित किताब
ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित यह नई पुस्तक. ‘The Emergency Diaries: Years That Forged a Leader’ — प्रधानमंत्री मोदी के आपातकाल-विरोधी संघर्षों पर आधारित है. किताब में उस दौर के दस्तावेज़ों, घटनाओं और मोदी के साथ काम करने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं के अनुभवों को शामिल किया गया है. इस किताब की प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं भी उस दौर में आपातकाल का विरोध करने वालों में अग्रणी रहे. पुस्तक का विमोचन आज शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया जाएगा.
‘The Emergency Diaries’ chronicles my journey during the Emergency years. It brought back many memories from that time.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2025
I call upon all those who remember those dark days of the Emergency or those whose families suffered during that time to share their experiences on social…
पीएम मोदी ने साझा किए यादगार अनुभव
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा, जब देश में आपातकाल थोपा गया था, तब मैं एक युवा प्रचारक था. यह आंदोलन मेरे लिए एक सीखने का अनुभव बना, जिससे लोकतंत्र की रक्षा की अहमियत और स्पष्ट हुई. उन्होंने आगे कहा कि यह किताब उनके लिए एक निजी स्मृति यात्रा की तरह है, जिसने बीते दौर की तमाम भावनात्मक यादें फिर से जीवित कर दीं. पीएम मोदी ने नागरिकों से भी अपील की कि यदि वे या उनके परिवार ने आपातकाल के दौरान कठिनाइयाँ झेली हैं, तो वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि युवा पीढ़ी इस दौर को ठीक से समझ सके.
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने दी पढ़ने की सलाह
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने भी इस किताब को पढ़ने की सिफारिश की है. उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि आपातकाल जैसी लोकतंत्र विरोधी घटनाओं की स्मृति को जीवित रखा जाए, ताकि भविष्य में ऐसी भूलें दोहराई न जाएं. उन्होंने इंदिरा गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उस दौर में देश को परिवारवाद और व्यक्तिवाद की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया गया था.
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