थाईलैंड-कंबोडिया के सीमा विवाद में फिर से ताजे तनाव की लपटें, ऐतिहासिक शिव मंदिर भी यहीं है.. जानिए पूरा मामला

    थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सुलगता सीमा विवाद गुरुवार को एक हिंसक रूप में सामने आया.

    Thailand-Cambodia border dispute tension Shiva temple
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    दक्षिण-पूर्व एशिया में लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद ने एक बार फिर अपनी गंभीरता का अहसास दिलाया है. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सुलगता सीमा विवाद गुरुवार को एक हिंसक रूप में सामने आया. यह घटना सुरिन प्रांत के विवादित चोंग बोक इलाके में हुई, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीव्र गोलीबारी हुई. यह वही इलाका है, जहां मई महीने में भी एक कंबोडियाई सैनिक की जान चली गई थी.

    क्या हुआ था इस बार?

    ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ताजा झड़प उस वक्त हुई जब कंबोडियाई सैनिकों ने थाईलैंड के एक सैन्य ठिकाने की ओर बढ़ते हुए फायरिंग शुरू कर दी. इससे पहले कंबोडियाई सेना के एक ड्रोन ने इलाके का हवाई निरीक्षण किया था और इसके बाद कंबोडियाई सैनिक भारी हथियारों से लैस होकर थाई चौकी के करीब पहुंच गए. इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए थाईलैंड की सेना ने फील्ड गन से फायरिंग शुरू कर दी. यह गोलीबारी प्रीह विहार मंदिर के नजदीक हुई, जो खमेर-हिंदू विरासत का एक अहम हिस्सा है और पहले से ही विवादित क्षेत्र में स्थित है.

    कंबोडिया का क्या कहना है?

    हालांकि, कंबोडिया ने इस आरोप को खारिज किया है कि उनकी सेना ने पहले गोलीबारी की. कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता माली सोचेटा ने कहा, "थाईलैंड की सेना ने हमारी सीमा में घुसपैठ की और हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया, जिसके बाद हमारे सैनिकों ने आत्मरक्षा में पलटवार किया." उनका कहना था कि कंबोडिया की सेना ने किसी भी प्रकार की उकसावे की स्थिति पैदा नहीं की, बल्कि यह पूरी घटना आत्मरक्षा का मामला था.

    इस झड़प के बाद के परिणाम

    इस घटना के बाद हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं. बुधवार को हुए एक लैंडमाइन विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए थे, जिसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया और फ्नोम पेन्ह से अपने दूत को वापस बुला लिया. कंबोडिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और थाईलैंड से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया, साथ ही यह घोषणा की कि वह अब दोनों देशों के रिश्तों को 'नीचे स्तर' पर ले जाएगा.

    सीमा विवाद की जड़ें क्या हैं?

    यह सीमा विवाद कोई नई बात नहीं है. 1904-07 के दौरान, फ्रांस और सियाम (अब थाईलैंड) के बीच सीमा खींची गई थी, जिसमें प्राकृतिक जलविभाजन को आधार माना गया था. लेकिन 1907 में फ्रांसीसी सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए नक्शे में प्रीय विहार मंदिर और उसके आसपास की भूमि को कंबोडिया का हिस्सा दर्शाया गया. इसे थाईलैंड ने बाद में विवादित और पक्षपाती बताया. 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने माना कि प्रीय विहार मंदिर कंबोडिया का है, लेकिन अदालत ने मंदिर के आसपास की जमीन के बारे में कोई स्पष्ट फैसला नहीं दिया, जिससे यह सीमा विवाद आज भी जस का तस बना हुआ है.

    राजनीतिक असर और बढ़ती चुनौतियां

    इस ताजा संघर्ष ने थाईलैंड की राजनीति को भी हिला कर रख दिया है. प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनवात्रा को कोर्ट ने अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ नैतिक लापरवाही के आरोपों की जांच की जा रही है. इस विवाद से जुड़े एक और दिलचस्प पहलू ने तब जन्म लिया, जब प्रधानमंत्री ने कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से फोन पर बात की थी, लेकिन वह कॉल लीक हो गई, जिसके बाद देश में भारी विरोध शुरू हो गया.

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