भारतीय वायुसेना को लंबे समय से जिस अपग्रेडेड तेजस Mark-1A फाइटर जेट का इंतजार है, उसकी डिलीवरी एक बार फिर टल गई है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अब उम्मीद कर रही है कि अक्टूबर में पहले दो लड़ाकू विमान वायुसेना को सौंपे जा सकेंगे. हालांकि यह भी इस शर्त पर निर्भर करेगा कि विमान अपने जरूरी हथियार परीक्षणों में सफल साबित होते हैं या नहीं.
तेजस Mark-1A में इस बार नए हथियारों और सिस्टम्स को इंटीग्रेट किया गया है, जिनमें भारत में बनी 'अस्त्र' BVR मिसाइल, एडवांस्ड शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, और लेजर गाइडेड बम शामिल हैं. इनके फायरिंग ट्रायल्स सितंबर के अंत तक पूरे किए जाने हैं. इसके अलावा, इजरायली टेक्नोलॉजी पर आधारित ELM-2052 रडार और नया फायर कंट्रोल सिस्टम भी इसमें लगाया गया है, जिसका परफॉर्मेंस इन परीक्षणों में परखा जाएगा. पिछली बार जब ट्रायल्स फेल हुए थे, तब HAL ने सॉफ्टवेयर लेवल पर कई जरूरी बदलाव किए थे. अब इन सुधारों का असर इन फायरिंग टेस्ट्स के नतीजों पर देखा जाएगा.
इंजन की सप्लाई में देरी ने बढ़ाई मुश्किलें
तेजस Mark-1A प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी रुकावट बनी है जनरल इलेक्ट्रिक (GE) द्वारा इंजन की आपूर्ति में हुई देरी. अगस्त 2021 में HAL ने GE-404 इंजन की 99 यूनिट का ऑर्डर दिया था, जिसकी कीमत थी करीब 5,375 करोड़ रुपये. लेकिन आज की तारीख तक सिर्फ दो इंजन ही HAL को मिल पाए हैं. अब कंपनी ने आश्वासन दिया है कि मार्च 2026 तक वह 10 और इंजन, और उसके बाद हर साल करीब 20 इंजन सप्लाई करेगी.
उत्पादन पर भी असर, एयरफोर्स को अब तक नहीं मिला एक भी Mark-1A
फरवरी 2021 में सरकार ने 83 तेजस Mark-1A विमानों की खरीद के लिए 46,898 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किया था. योजना के मुताबिक इनकी डिलीवरी फरवरी 2024 से फरवरी 2028 के बीच पूरी होनी थी, लेकिन अब तक वायुसेना को एक भी Mark-1A नहीं मिला है. इसके पहले, IAF को Mark-1 के 40 में से अब तक 38 विमान ही मिल पाए हैं.
तेजस की बढ़ती संख्या से बढ़ रही उम्मीदें
हाल ही में केंद्र सरकार ने तेजस के और 97 नए फाइटर जेट खरीदने की मंजूरी दी है, जिसकी लागत करीब 66,500 करोड़ रुपये है. इससे कुल तेजस विमानों की संख्या अब 180 से ज्यादा हो जाएगी. यह भारत को स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण के मामले में एक मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करेगा.
IAF की चिंता: स्क्वॉड्रन कम, रिटायरमेंट तेज
वायुसेना के लिए यह देरी बेहद चिंता का विषय बन चुकी है. एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी पहले ही कह चुके हैं कि भारतीय वायुसेना को हर साल कम से कम 40 नए लड़ाकू विमान चाहिए, ताकि ताकत बरकरार रह सके. फिलहाल IAF के पास 31 स्क्वॉड्रन हैं, लेकिन 26 सितंबर को मिग-21 विमानों के रिटायर होने के बाद यह संख्या घटकर 29 स्क्वॉड्रन तक पहुंच जाएगी, जो एक ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर होगा.
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