Bihar News: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. इस बार वजह हैं तेज प्रताप यादव, जो परिवार और पार्टी से निष्कासित होने के बाद अब एक नया राजनीतिक मोर्चा खड़ा कर चुके हैं. तेजस्वी यादव से मतभेद के चलते अब तेज प्रताप खुद को एक स्वतंत्र सियासी ताकत के रूप में स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं, और उनके इस कदम ने महागठबंधन (INDIA Bloc) की टेंशन बढ़ा दी है.
निर्दलीय से मोर्चा तक: बढ़ते सियासी कदम
तेज प्रताप पहले ही हसनपुर छोड़ महुआ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपनी टीम के कुछ सदस्यों को भी चुनाव मैदान में उतारने की बात कही थी. अब उन्होंने पांच छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के साथ मिलकर एक नया तीसरा मोर्चा बना लिया है, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन सकता है.
किन दलों के साथ तेज प्रताप ने मिलाया हाथ?
5 अगस्त को तेज प्रताप ने विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (वीएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) के साथ गठबंधन की घोषणा की. इन दलों का अभी तक कोई बड़ा चुनावी रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन तेज प्रताप की उपस्थिति इस गठबंधन को चर्चा में ला रही है.
महागठबंधन को वोट कटवा बनने का डर
तेज प्रताप के इस कदम से महागठबंधन को वोटों के बिखराव का खतरा नजर आ रहा है. पिछली बार 15 सीटों के मामूली अंतर से हार झेलनी पड़ी थी, जिनमें से कई पर बहुत कम अंतर से हार हुई थी. ऐसे में अगर तेज प्रताप कुछ प्रतिशत भी वोट काट ले जाते हैं, तो इसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है.
पारिवारिक विवाद से सियासी जंग तक
तेज प्रताप ने अपने पुराने प्रेम-प्रसंग के सार्वजनिक होने के बाद राजद और परिवार पर तीखे हमले किए. उन्होंने पार्टी में कुछ नेताओं को "जयचंद" तक कह डाला. यह बयान यह साफ करता है कि संघर्ष केवल वैचारिक नहीं बल्कि प्रभुत्व की लड़ाई भी है.
नजरें अब तेज प्रताप के अगले कदम पर
तेज प्रताप का नया गठबंधन भले ही छोटे दलों का मेल हो, लेकिन उनकी चुनौती को हल्के में लेना महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकता है. राजनीति में बिखराव कब गठजोड़ को कमजोर कर दे, इसका अंदाज़ा बिहार का इतिहास कई बार दे चुका है.
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