‘ॐ नमः शिवाय’ सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते..., PM Modi ने चोलों की विरासत को बताया विकसित भारत की प्रेरणा

    PM Modi Tamilnadu Visit: तमिलनाडु की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक भूमि रविवार को एक ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चोलकालीन मंदिरों में पूजा-अर्चना कर भारत की सांस्कृतिक शक्ति और विरासत को नए सिरे से राष्ट्र को समर्पित किया.

    Tamilnadu Visit Pm modi on rajendra Chola and om namah shivay
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    PM Modi Tamilnadu Visit: तमिलनाडु की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक भूमि रविवार को एक ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चोलकालीन मंदिरों में पूजा-अर्चना कर भारत की सांस्कृतिक शक्ति और विरासत को नए सिरे से राष्ट्र को समर्पित किया.

    प्रधानमंत्री मोदी ने थंजावुर के प्राचीन बृहदेश्वर मंदिर में विधिवत पूजा की और उसके बाद गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आयोजित 'आदि तिरुवथिराई महोत्सव' में भाग लिया. यहां उन्होंने देशवासियों के लिए सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए कहा: "मैं तो काशी का सांसद हूं और जब मैं ‘ॐ नमः शिवाय’ सुनता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यह सिर्फ एक ध्वनि नहीं, शिव की चेतना है, ऊर्जा है, अनुभूति है."

    मालदीव से सीधे चोल भूमि तक

    प्रधानमंत्री ने चोल राजाओं की अंतरराष्ट्रीय दृष्टि को आधुनिक भारत की प्रेरणा बताते हुए कहा, "यह भी एक अद्भुत संयोग है कि कल ही मैं मालदीव से लौटा हूं और आज मैं चोल साम्राज्य की इस भूमि पर हूं, जिसने श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक भारत की संस्कृति और व्यापार को पहुंचाया था." यह वक्तव्य चीन जैसे देशों के लिए एक परोक्ष संदेश भी माना जा रहा है कि भारत केवल आंतरिक रूप से ही नहीं, सांस्कृतिक रूप से वैश्विक मंच पर भी पुनः अपनी उपस्थिति सशक्त बना रहा है.

    'विरासत से विकास' तक 

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चोल साम्राज्य केवल एक भू-भाग नहीं था, बल्कि वह भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और स्थापत्य विरासत का स्वर्णिम अध्याय है. उन्होंने कहा, "चोल राजाओं ने भारत को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया. आज हमारी सरकार भी उसी दिशा में कार्य कर रही है, काशी-तमिल संगमम्, सौराष्ट्र-तमिल संगमम् जैसे आयोजन उसी विचार को आगे ले जा रहे हैं."

    'सेंगोल' की गौरवगाथा

    मोदी ने अपने संबोधन में महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल को श्रद्धा से याद करते हुए कहा, "राजेंद्र चोल ने गंगा जल को उत्तर से लाकर दक्षिण में प्रतिष्ठित किया, यह सांस्कृतिक समरसता का महान उदाहरण है. आज वही भावना हमारी संसद में स्थापित 'सेंगोल' के रूप में जीवित है." उन्होंने संसद में तमिल संतों की उपस्थिति और आध्यात्मिक नेतृत्व को भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और संस्कृति का अनूठा संगम बताया.

     शिव भक्ति और स्थापत्य का महासंगम

    प्रधानमंत्री ने कहा कि चोलों द्वारा निर्मित गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर आज भी वास्तुकला का वैश्विक चमत्कार है. यहां से भारत ने न केवल भक्ति का संदेश, बल्कि राजनयिक सौहार्द और व्यापारिक समृद्धि का भी मार्ग प्रशस्त किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यह विरासत हमारे विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा देती है." 

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