काबुल: पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच, अफगान तालिबान ने देश में आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली तैनात कर अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान के तहत 313वीं केंद्रीय सेना कोर की पहली इन्फैंट्री ब्रिगेड ने रूसी निर्मित 23-ZU दो-शॉट वायु रक्षा प्रणाली को सक्रिय किया है. यह तैनाती रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर की गई है, जिससे पाकिस्तान की किसी भी संभावित हवाई गतिविधि को प्रभावी ढंग से रोका जा सके.
तालिबान अधिकारियों का कहना है कि यह कदम उनके रक्षा तत्परता स्तर को बढ़ाने और देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रणाली उच्च तकनीकी रखरखाव और कुशल संचालन के साथ तैनात की गई है, ताकि किसी भी संभावित खतरे का तत्काल जवाब दिया जा सके.
पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच हाल के महीनों में तनाव बढ़ गया है. इसी माह दोनों पक्षों के बीच कई दिनों तक हिंसक झड़पें हुई थीं. रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने अफगान सीमा के पास फाइटर जेट तैनात कर बमबारी की, जिससे नागरिकों और सुरक्षा बलों की जान का नुकसान हुआ. इस छह-दिन के सैन्य संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने दोहा, कतर में वार्ता के जरिए युद्धविराम पर सहमति बनाई.
वर्तमान में, वार्ता का दूसरा दौर इस्तांबुल, तुर्की में 25 अक्टूबर को शुरू हुआ. इस बैठक में अफगान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तालिबान के उप-गृह मंत्री हाजी रहमतुल्लाह नजीब कर रहे हैं. इसके अलावा, कतर में तालिबान के राजदूत और अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता सुहैल शाहीन, अनस हक्कानी, नूर अहमद नूर (विदेश मंत्रालय में राजनीतिक मामलों के महानिदेशक), नूरुर रहमान नुसरत (रक्षा मंत्रालय में संचालन उप-महानिदेशक) और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी बैठक में शामिल हैं.
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में दो सैन्य अधिकारी शामिल हैं, जिनकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत और वार्ता के बावजूद सीमा पर सैन्य गतिविधियां जारी रह सकती हैं.
वायु रक्षा प्रणाली का महत्व
तालिबान द्वारा तैनात की गई 23-ZU वायु रक्षा प्रणाली छोटे और मध्यम दूरी के हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है. इसे विशेष रूप से लड़ाकू विमानों, ड्रोन और अन्य हवाई हथियारों के खिलाफ विकसित किया गया है. सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह तैनाती तालिबान की रणनीतिक क्षमता को बढ़ाने और पाकिस्तान के किसी भी संभावित आक्रमण को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
तालिबान ने स्पष्ट किया कि यह प्रणाली केवल देश की रक्षा के लिए है और इसका उद्देश्य किसी भी पक्ष पर आक्रामक कार्रवाई करना नहीं है. इसके साथ ही तालिबान ने यह भी कहा कि वे भविष्य में किसी भी सैन्य खतरे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
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