मध्य पूर्व एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ा है, जहां एक चिंगारी बड़ी जंग का कारण बन सकती है. इस बार मामला सीरिया को लेकर है, जहां इजरायल और तुर्की के बीच बढ़ती तनातनी ने क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. शनिवार शाम को इजरायली हवाई हमलों के बाद दोनों देशों के लड़ाकू विमान सीरिया की सीमा में आमने-सामने आ गए. हालांकि किसी सीधी मुठभेड़ की खबर नहीं है, लेकिन इस घटनाक्रम ने दोनों देशों के बीच तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है.
इजरायली हमलों से भड़का तुर्की
ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने सीरिया के दमिश्क और हमा क्षेत्रों में कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर बमबारी की. इन हमलों के बाद तुर्की के फाइटर जेट्स इजरायली विमानों के नजदीक देखे गए. जबकि दोनों पक्षों ने प्रत्यक्ष मुठभेड़ से परहेज़ किया, पर यह साफ है कि दोनों देशों के बीच सीरिया में वर्चस्व की लड़ाई अब खुलकर सामने आ रही है.
बशर अल असद के बाद की सियासत
सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सत्ता से हटने के बाद हालात तेजी से बदले हैं. अब तुर्की और इजरायल, दोनों ही, युद्ध से टूटे इस देश में अपने-अपने हितों के लिए पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं. जहां इजरायल का दावा है कि उसके हमलों का उद्देश्य आतंकवादी संगठनों को सैन्य संपत्ति हासिल करने से रोकना है, वहीं तुर्की इन हमलों को सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन मान रहा है.
तुर्की की नई रणनीति
तुर्की ने सीरिया की अंतरिम सरकार का समर्थन किया है और अब वह रक्षा सहयोग के तहत अपनी सेना और एयर डिफेंस को T4 और हमा जैसे रणनीतिक हवाई ठिकानों पर तैनात करने की योजना बना रहा है. ये वही ठिकाने हैं जो पहले इजरायल के निशाने पर रहे हैं. तुर्की की इस सक्रियता को इजरायल एक चुनौती के रूप में देख रहा है, जिसे वह अपने हितों के लिए खतरा मानता है.
सीरिया बना भू-राजनीतिक अखाड़ा
सीरिया की मौजूदा स्थिति एक भू-राजनीतिक टकराव का प्रतीक बनती जा रही है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इजरायल पर सीरिया को अस्थिर करने का आरोप लगाया है, जबकि इजरायल तुर्की पर क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करने की मंशा का आरोप मढ़ रहा है. यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच सीधा टकराव टला तो है, लेकिन संकट टला नहीं है.
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