टीम इंडिया में गिल और गंभीर के बीच सबकुछ ठीक नहीं? पूर्व भारतीय कप्तान ने प्लेइंग 11 को लेकर उठाए सवाल

    IND vs ENG: टीम इंडिया की प्लेइंग-11 को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है और इस बार सवाल उठाया है खुद महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने. उनका साफ कहना है कि कप्तान शुभमन गिल को जो खिलाड़ी चाहिए थे

    Sunil Gavaskar Raise Question On Team India Playing 11 Gambhir and Gill
    Image Source: ANI/ File

    IND vs ENG: टीम इंडिया की प्लेइंग-11 को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है और इस बार सवाल उठाया है खुद महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने. उनका साफ कहना है कि कप्तान शुभमन गिल को जो खिलाड़ी चाहिए थे, वे शायद अंतिम फैसला नहीं ले सके. यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुलदीप यादव को लगातार टेस्ट टीम में नजरअंदाज किया जा रहा है और शार्दुल ठाकुर या नीतीश रेड्डी जैसे सीमित योगदान वाले ऑलराउंडर को तरजीह दी जा रही है.

    गावस्कर ने सोनी स्पोर्ट्स पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आखिरकार यह कप्तान की टीम होती है. हो सकता है गिल कुलदीप को खिलाना चाहते हों, लेकिन फैसला किसी और का रहा हो. अगर कप्तान ही फाइनल इलेवन तय नहीं करेगा, तो उसकी जवाबदेही कैसे तय होगी?” यह बयान साफ इशारा करता है कि टीम चयन में मुख्य कोच गौतम गंभीर की भूमिका ज्यादा हावी हो रही है और यह कप्तान की स्वतंत्रता पर सवालिया निशान लगाता है.

    गावस्कर की नज़र में कुलदीप की अनदेखी अजीब

    गावस्कर ने ये भी याद दिलाया कि कुलदीप यादव ने 2018 में मैनचेस्टर और लॉर्ड्स में जो रूट को सिर्फ तीन गेंदों में दो बार आउट किया था. इसके बावजूद रूट ने मौजूदा टेस्ट में न सिर्फ शतक जड़ा बल्कि रिकी पोंटिंग को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट इतिहास में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए. गावस्कर ने कहा, “ऐसे में कुलदीप को बेंच पर बैठाना रणनीतिक गलती है। वह विकेट टेकर हैं, और इस समय भारत को ऐसे ही गेंदबाजों की जरूरत है.” 

    क्या कोच बन रहे चयन नीति के केंद्र में?

    कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गौतम गंभीर ऐसे खिलाड़ियों को वरीयता दे रहे हैं जो बल्ले से योगदान कर सकें, यानी ऑलराउंडर अधिक पसंद किए जा रहे हैं. लेकिन इन खिलाड़ियों का न गेंद से असर दिख रहा है, न बल्ले से.

    उदाहरण:

    शार्दुल ठाकुर: 3 पारियों में सिर्फ 27 ओवर, 2 विकेट | रन: 1, 4, 41

    नीतीश रेड्डी: 2 मैच में 28 ओवर, 2 विकेट | रन: 1, 1, 30, 13

    इन आँकड़ों से साफ है कि टीम को वास्तविक गेंदबाज की ज़रूरत है, न कि आंशिक ऑलराउंडरों की.

    गावस्कर ने बताया, पहले कैसे होते थे फैसले

    गावस्कर ने अपनी कप्तानी के दौर को याद करते हुए कहा, “हमारे समय में कोच नहीं होते थे. मैनेजर और सहायक मैनेजर होते थे, जो सलाह जरूर देते थे, लेकिन अंतिम फैसला कप्तान का ही होता था. आज तो कप्तान की बात को दबा दिया जाता है.” उन्होंने यह भी कहा कि अंदरूनी मतभेदों को छिपाने के लिए ड्रेसिंग रूम को “सही” दिखाने की कोशिश की जाती है, लेकिन सच्चाई मैदान पर झलक जाती है.

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