Dalmia Nagar Rail Coach: बिहार में विधानसभा चुनावों की आहट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित मगध-शाहाबाद प्रमंडल दौरे को लेकर चर्चाएं तेज हैं. इस दौरे के दौरान वे रोहतास के ऐतिहासिक डालमियानगर को एक नई रेल परियोजना की सौगात दे सकते हैं. संकेत हैं कि प्रधानमंत्री भारतीय रेल की जमीन पर एक बड़ी रेल अवसंरचना निर्माण इकाई की न केवल घोषणा करेंगे, बल्कि संभवतः आधारशिला भी रखेंगे.
इस अटकल को बल तब मिला जब पूर्व मध्य रेलवे के डीडीयू मंडल रेल प्रबंधक (DRM) उदय सिंह मीना ने शनिवार को डालमियानगर स्थित रेलवे भूमि का गहन निरीक्षण किया. उनके साथ मंडल के तकनीकी और अभियंता विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
ज़मीन, कनेक्टिविटी और रणनीति
डालमियानगर के निरीक्षण के दौरान रेलवे भूमि की उपयोगिता, डेहरी ऑन सोन स्टेशन से इसकी कनेक्टिविटी, और स्थानीय संरचनात्मक संभावनाओं पर चर्चा की गई. माना जा रहा है कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो डालमियानगर क्षेत्र वर्षों बाद रेल औद्योगिकीकरण का केंद्र बन सकता है, जो न सिर्फ स्थानीय रोज़गार को गति देगा, बल्कि पूरे शाहाबाद क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन ला सकता है.
लालू प्रसाद की अधूरी विरासत
गौरतलब है कि 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस भूमि को 123 करोड़ में अधिग्रहित कर यहां रेलवे मालवहन डिब्बा कारखाना (फ्रेट बोगी फैक्ट्री) की आधारशिला रखी थी. लेकिन यह सपना कभी हकीकत में नहीं बदल सका. 2009 से 2014 तक कोई ठोस काम नहीं हुआ, और अंततः 2017 में बचे हुए ढांचे को मात्र 94 करोड़ में बेच दिया गया. 2020 में एक बार फिर मरम्मत केंद्र की योजना बनी, बजट भी स्वीकृत हुआ, लेकिन कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया. अब जबकि फिर से डालमियानगर रेलवे ज़मीन पर सक्रियता दिख रही है, लोगों में उम्मीद जगी है कि अधूरी योजनाओं को नए नेतृत्व में नया जीवन मिल सकता है.
सोन ब्रिज और एनएसटीपीएस भी फोकस में
इस दौरे के क्रम में DRM ने कई अहम स्थलों का निरीक्षण किया. सोन नदी पर स्थित मल्टीट्रैक रेल ब्रिज का निरीक्षण किया गया, जिसमें पुल की संरचना, ट्रैक सुरक्षा और बिजली व्यवस्था जैसे पहलुओं की समीक्षा हुई. औरंगाबाद जिले में एनटीपीसी (नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन) के कोल रैक अनलोडिंग प्वाइंट का भी निरीक्षण किया गया. कोयला आपूर्ति, यार्ड प्रबंधन, और रेल संचालन की बारीकियों पर चर्चा की गई. NTPC और रेलवे के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में भविष्य की जरूरतों, रैक मूवमेंट और संचालन की बेहतर रणनीति पर बात की गई. एनएसटीपीएस प्रशासन ने कई सुझाव भी साझा किए.
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