सीतामढ़ी में गूंजेगा भक्ति का जयघोष, 8 अगस्त को माता जानकी मंदिर का शिलान्यास, 51000 दीपों से जगमगाएगा सीता कुंड

    Mata Janaki temple Sitamarhi: मिथिला की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान एक नए अध्याय में प्रवेश करने जा रही है. जनकनंदिनी माता सीता की जन्मस्थली, सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम में भव्य जानकी मंदिर के निर्माण का शुभारंभ अब बस कुछ ही दिनों में होने वाला है.

    Sitamarhi bihar the foundation stone of Mata Janaki temple will be laid on August 8
    Image Source: ANI/ File

    Mata Janaki temple Sitamarhi: मिथिला की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान एक नए अध्याय में प्रवेश करने जा रही है. जनकनंदिनी माता सीता की जन्मस्थली, सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम में भव्य जानकी मंदिर के निर्माण का शुभारंभ अब बस कुछ ही दिनों में होने वाला है. 8 अगस्त को इस ऐतिहासिक क्षण का भूमि पूजन होगा, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मंदिर की आधारशिला रखेंगे. उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य केंद्रीय व राज्य स्तरीय नेता भी मौजूद रहेंगे.

    यह सिर्फ एक मंदिर का शिलान्यास नहीं, बल्कि मिथिला की आत्मा से जुड़ा एक भव्य सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महोत्सव है. पूरे क्षेत्र में श्रद्धा की लहर दौड़ चुकी है. प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए जा रहे हैं, ताकि हज़ारों की संख्या में जुटने वाली भीड़ को किसी प्रकार की असुविधा न हो.

    घर-घर से अक्षत, दीप और आस्था का संगम

    मंदिर निर्माण को जनआंदोलन का रूप देने के उद्देश्य से घर-घर से अक्षत संग्रह अभियान चलाया जा रहा है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल जिले के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर लोगों से इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने की अपील कर रहे हैं. अक्षत (चावल) को श्रद्धा का प्रतीक मानते हुए लोग अपने-अपने घरों से उसे लेकर पुनौरा धाम पहुंच रहे हैं. मंदिर परिसर में विशेष स्टॉल बनाए गए हैं, जहाँ यह अक्षत एकत्र किया जा रहा है. इस ज़िम्मेदारी को भाजपा महिला मोर्चा और अन्य महिला संगठनों ने संभाल रखा है.

    दीपों की रोशनी में नहाएगा पुनौरा धाम

    भूमि पूजन की संध्या को पुनौरा धाम पूरी तरह भक्ति के प्रकाश में नहाएगा. मंदिर प्रबंधन ने दीपोत्सव की भव्य योजना बनाई है. आयोजक श्रद्धालुओं से एक-एक दीपक लाने की अपील कर रहे हैं ताकि पूरा परिसर 51000 दीपों से जगमगा उठे. यह आयोजन सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक एकता और धार्मिक चेतना का उत्सव बनेगा.

    प्रसाद में खीर

    शिलान्यास और दीपोत्सव के उपरांत श्रद्धालुओं और साधु-संतों के बीच मिथिला की पारंपरिक खीर को प्रसाद रूप में वितरित किया जाएगा. यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक समरसता का संदेश भी देगा.

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