शुभांशु की वापसी पर गदगद मोदी सरकार, बधाई देते हुए पास किया ये प्रस्ताव

    18 दिनों की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला धरती पर लौटे, तो न केवल भारत के वैज्ञानिक समुदाय ने राहत की सांस ली, बल्कि पूरे राष्ट्र का सीना गर्व से चौड़ा हो गया.

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    Image Source: ANI

    New Delhi: 18 दिनों की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला धरती पर लौटे, तो न केवल भारत के वैज्ञानिक समुदाय ने राहत की सांस ली, बल्कि पूरे राष्ट्र का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. इस ऐतिहासिक क्षण को और भी खास बना दिया केंद्रीय मंत्रिमंडल ने, जिसने एक स्वर में उनके साहस और समर्पण को सम्मानित करते हुए प्रस्ताव पारित किया.

    "यह सिर्फ एक वापसी नहीं, भारत के भविष्य की उड़ान है"

    केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पल को देश के लिए "गौरव और उल्लास का क्षण" बताते हुए कहा, “शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा ने भारत को अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के एक कदम और करीब ला दिया है. यह हमारे विज्ञान और आत्मनिर्भरता के सपनों की उड़ान है.”

    18 दिन, एक मिशन और अरबों उम्मीदें

    शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताकर भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा. उनका यह अनुभव, भारत के बहुप्रतीक्षित गगनयान मिशन की नींव को और मजबूत करता है.

    इसरो और वैज्ञानिकों को सलाम

    कैबिनेट ने इसरो के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और मिशन से जुड़े सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि एक व्यक्ति की नहीं, भारत की सामूहिक आकांक्षा का प्रतीक है. उन्होंने आगे कहा, “यह मिशन बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगा. इससे जिज्ञासा बढ़ेगी, वैज्ञानिक सोच का विस्तार होगा और हजारों युवा विज्ञान और तकनीक को करियर की दिशा में चुनेंगे. यह ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प में नया जोश भरने वाला क्षण है.”

    17 अगस्त को होगा भारत आगमन
    यूं तो शुभांशु शुक्ला धरती पर लौट चुके हैं, लेकिन मिशन से जुड़ी तमाम वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के चलते 17 अगस्त तक वे भारत लौट पाएंगे. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के मुताबिक, इसके बाद गगनयान मिशन की तैयारी और भी गति पकड़ लेगी.

    भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि अब हम केवल अंतरिक्ष में देखने तक सीमित नहीं हैं. हम वहां पहुंचकर, लौटकर और अगला कदम तय करने वाले देश बन चुके हैं. शुभांशु शुक्ला की वापसी, एक नई शुरुआत है, एक अंतरिक्ष युग की, एक आत्मनिर्भर वैज्ञानिक भारत की. 

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