शेख हसीना पर फैसले से पहले बांग्लादेश में भड़की हिंसा, दर्जनों बसों को लगाई आग, पैरामिलिट्री सैनिक तैनात

    बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति 17 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध मामले में फैसले से पहले तनावपूर्ण हो गई है. राजधानी ढाका और देश के कई बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं.

    Sheikh Hasina Awami League sets fire in bangladesh 40 blasts in one day
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    बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति 17 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध मामले में फैसले से पहले तनावपूर्ण हो गई है. राजधानी ढाका और देश के कई बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. देशभर में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और सार्वजनिक जीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है.


    रिपोर्टों के अनुसार, बुधवार को ढाका और अन्य शहरों में कम से कम 32 बम विस्फोट हुए. इसके अलावा, दर्जनों बसों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. गुरुवार रात ढाका एयरपोर्ट के पास दो और विस्फोट हुए, जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ. हिंसा की यह लहर राजधानी और अन्य बड़े शहरों में फैली हुई है. प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग के मुख्यालय में भी आग लगा दी. पुलिस और सेना ने घटना स्थल पर पहुंचकर स्थिति पर नियंत्रण पाया, लेकिन कई इलाकों में सुरक्षा का माहौल अभी भी बेहद संवेदनशील है.

    सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

    हिंसा और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. राजधानी ढाका में 400 से अधिक पैरामिलिट्री सैनिक तैनात किए गए हैं. स्कूलों ने कक्षाएं ऑनलाइन मोड में शिफ्ट कर दी हैं, और सार्वजनिक परिवहन लगभग पूरी तरह बंद है. सुरक्षा एजेंसियों ने प्रमुख इमारतों, एयरपोर्ट और सरकारी कार्यालयों पर अतिरिक्त सुरक्षा कड़ी कर दी है. पुलिस ने कई विरोध प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है और शहरों में कई चेकपोइंट लगाए गए हैं.

    राजनीतिक माहौल और विपक्ष का विरोध

    पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी अवामी लीग ने फैसले के विरोध में पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की है. पार्टी का दावा है कि यह मुकदमा राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है. वहीं, विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए. कई शहरों में उनके जुलूसों के दौरान हिंसक झड़पें हुईं. इन घटनाओं में प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की, जिससे नागरिक जीवन प्रभावित हुआ.

    शेख हसीना पर आरोप और उनका पक्ष

    शेख हसीना पर आरोप हैं कि उन्होंने 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान सुरक्षा बलों को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग का आदेश दिया. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, उस हिंसा में लगभग 1,400 लोग मारे गए. हालांकि, शेख हसीना ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने इसे "राजनीतिक साजिश" और "झूठा मुकदमा" बताया. हसीना ने इंटरव्यू में कहा कि अगर सरकार ईमानदार है तो उन पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में केस किया जाए. उनका कहना है कि निष्पक्ष अदालत उन्हें बरी कर देगी.

    सरकारी वकील की मांग—फांसी

    अभियोजन पक्ष ने शेख हसीना पर हत्या, मानवता के खिलाफ अपराध और प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग रोकने में नाकामी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. सरकारी वकील ने अदालत से मृत्युदंड की सजा की मांग की है. उनके साथ दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान, और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामुन के खिलाफ भी फांसी की सजा की याचना की गई है.

    पूर्व सरकार और तख्तापलट का असर

    5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का अचानक तख्तापलट हुआ. इसके बाद देशभर में भारी प्रदर्शन, हिंसा और आगजनी देखने को मिली. सरकार पर आरोप लगे कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर टॉर्चर किया गया और फायरिंग की गई. हिंसा के बढ़ते खतरे को देखते हुए शेख हसीना भारत में शरण लेने को मजबूर हुईं. बाद में बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया. कोर्ट ने उन्हें देश लौटकर पेश होने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने इसे मानने से इनकार कर दिया.

    फैसले की प्रक्रिया और आगे की संभावनाएं

    अदालत 17 नवंबर को केवल फैसले की तारीख घोषित करेगी. आमतौर पर अंतिम निर्णय में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है. इस बीच, देश भर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता, अगले चुनावों और नागरिक जीवन पर गहरा असर डाल सकता है. फरवरी 2026 में प्रस्तावित चुनावों से पहले यह मामला राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है.

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