पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं, और इस बार सवाल पूछने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार चीन है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से दो टूक शब्दों में कहा कि पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों, परियोजनाओं और संस्थानों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए.
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में चीनी कर्मियों पर हुए लगातार आतंकी हमलों ने बीजिंग को चिंतित कर दिया है. अब जब पाकिस्तान आर्थिक रूप से भी कठिन दौर से गुजर रहा है, ऐसे में चीन से मिलने वाला निवेश उसके लिए जीवनरेखा की तरह है – लेकिन सुरक्षा संकट के चलते यह सहयोग खतरे में पड़ता नजर आ रहा है.
BRI की नींव हिल रही है
चीन की Belt and Road Initiative (BRI) परियोजना का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में फैला हुआ है. बीते दशक में चीन ने वहां बिजली संयंत्रों, राजमार्गों और ग्वादर पोर्ट जैसे बुनियादी ढांचा विकास कार्यों में अरबों डॉलर झोंक दिए हैं. हालांकि लगातार आतंकी हमलों ने इन परियोजनाओं की प्रगति को रोक दिया है. विशेष रूप से बलूचिस्तान क्षेत्र में सक्रिय जिहादी और अलगाववादी संगठन चीनी कर्मियों और परियोजनाओं को निशाना बना रहे हैं. यही वजह है कि 60 अरब डॉलर से अधिक के निवेश का बड़ा हिस्सा ठप पड़ा है.
शी जिनपिंग ने क्या कहा?
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, SCO समिट में शहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान शी जिनपिंग ने कहा “चीन आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई का समर्थन करता है, लेकिन यह भी उम्मीद करता है कि पाकिस्तान अपने देश में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा और **द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक सुरक्षित माहौल तैयार करेगा.” दिलचस्प बात यह रही कि पाकिस्तानी पीएमओ की ओर से जारी प्रेस बयान में सुरक्षा को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया. इसे जानबूझकर नजरअंदाज करना माना जा रहा है.
पाकिस्तान में चीनी सैनिकों की तैनाती की कोशिश?
पाकिस्तान सरकार ने चीनी परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए हजारों सैन्य और अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर रखी है. लेकिन बीजिंग अब चाह रहा है कि उसे अपने सुरक्षा कर्मियों को पाकिस्तान भेजने की इजाजत दी जाए एक ऐसा कदम जिसे इस्लामाबाद अभी तक टालता रहा है. हालांकि बढ़ते दबाव और लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए पाकिस्तान पर यह दबाव अब निर्णायक मोड़ पर आ पहुंचा है.
ग्वादर और बलूचिस्तान में बढ़ती असुरक्षा
चीन की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना, ग्वादर पोर्ट, बलूचिस्तान में स्थित है — एक ऐसा इलाका जो लंबे समय से अस्थिरता और विद्रोह से जूझ रहा है. यहां चीनी परियोजनाओं और कर्मियों पर कई बार हमले हो चुके हैं, जिससे न सिर्फ प्रोजेक्ट की टाइमलाइन, बल्कि चीन-पाकिस्तान के बीच भरोसे की डोर भी प्रभावित हुई है.
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