पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने दोनों देशों के बीच तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. इसी पृष्ठभूमि में एक अहम कूटनीतिक क्षण सामने आने वाला है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर नजर आएंगे.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में दोनों नेताओं की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है, जहां वे एक ही दिन भाषण देंगे. यह पहली बार है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के सर्वोच्च नेता एक ही दिन, एक ही मंच से अपनी बात रखेंगे.
कहां और कब होगी यह बैठक?
संयुक्त राष्ट्र महासभा की औपचारिक शुरुआत 9 सितंबर से होगी, जबकि उच्चस्तरीय आम बहस 23 से 29 सितंबर 2025 के बीच आयोजित की जाएगी. इस वर्ष महासभा का विषय है. एक साथ बेहतर: शांति, विकास और मानवाधिकारों के लिए 80 वर्ष.भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के भाषण की तिथि तय हो चुकी है. पीएम नरेंद्र मोदी सुबह संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करेंगे. पीएम शहबाज शरीफ शाम को अपनी बात रखेंगे.इस क्रम का राजनीतिक और रणनीतिक महत्व भी है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देने का अवसर मिलेगा.
पाक मीडिया की पुष्टि
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, शहबाज शरीफ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इस सत्र में हिस्सा लेंगे. उनके साथ विदेश मंत्री इशाक डार और प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार तारिक फातमी भी शामिल होंगे.वहीं भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस सत्र में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे, जो इस सत्र की बड़ी राजनीतिक घटनाओं में से एक मानी जा रही है.
कश्मीर और आतंकवाद पर टकराव की आशंका
संयुक्त राष्ट्र महासभा का मंच दोनों देशों के लिए अपनी विदेश नीति और राष्ट्रीय चिंताओं को वैश्विक स्तर पर उठाने का एक अहम अवसर होगा.पाकिस्तान की ओर से एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाना तय माना जा रहा है.भारत की ओर से आतंकवाद और सीमा पार हिंसा को लेकर पाकिस्तान पर कड़ी प्रतिक्रिया की संभावना है.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक कार्रवाई
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान अधिकृत इलाकों में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था. इस सटीक और योजनाबद्ध सैन्य अभियान में 100 से अधिक आतंकी मारे गए, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के ठिकानों को ध्वस्त किया गया. इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने संघर्षविराम की मांग करते हुए भारतीय सेना से संपर्क साधा और अंततः सीमाओं पर अस्थायी शांति कायम हुई.
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