इस्लामाबाद: ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय मिसाइलों की सटीक और घातक स्ट्राइक ने न सिर्फ पाकिस्तान के सामरिक ढांचे को हिला दिया, बल्कि उसकी विदेश नीति और रक्षा सहयोगियों की सूची को भी बदल कर रख दिया है. चीनी एयर डिफेंस सिस्टम, जिस पर पाकिस्तान ने सालों तक आंख मूंदकर भरोसा किया, भारत के हमलों के सामने बेबस नजर आया. इसके बाद अब पाकिस्तान ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली के लिए चीन से मुंह मोड़कर तुर्की की ओर रुख किया है.
चीनी रक्षा तंत्र की विफलता ने मचाई खलबली
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों और वायुसेना के अड्डों को सर्जिकल प्रिसीजन से निशाना बनाया. इस पूरे हमले के दौरान पाकिस्तान के पास चीनी रडार और डिटेक्शन सिस्टम सक्रिय थे, लेकिन ये भारतीय मिसाइलों को न ट्रैक कर पाए, न रोक पाए.
पाकिस्तानी वायुसेना के सूत्रों के अनुसार, हमलों से पहले कोई वॉर्निंग नहीं मिली, जिससे चीनी एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमताओं पर सवाल खड़े हो गए हैं. इसके बाद इस्लामाबाद में हुई उच्चस्तरीय बैठकों में चीन के सैन्य उपकरणों की विश्वसनीयता को लेकर खुलकर नाराजगी जताई गई.
एएलपी-300जी पर टिकीं निगाहें
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान अब तुर्की के ALP-300G जैसे एडवांस एयर डिफेंस रडार सिस्टम की ओर देख रहा है. यह रडार तुर्की की रक्षा कंपनी ASELSAN द्वारा विकसित किया गया है और NATO-मानकों पर आधारित है.
ALP-300G में मौजूद AESA तकनीक, डिजिटल बीमफॉर्मिंग और सॉलिड-स्टेट पावर एम्प्लीफायर जैसी खूबियाँ इसे अत्याधुनिक बनाती हैं. यह बैलिस्टिक मिसाइल, स्टील्थ एयरक्राफ्ट, एंटी-रेडिएशन मिसाइल और ड्रोन जैसे लक्ष्यों को लंबे रेंज से पहचान सकता है. इसके अलावा यह मौसम की स्थितियों को समझकर ट्रैकिंग प्रदर्शन को और सटीक बनाता है.
मोबिलिटी और युद्धक्षमता – ALP-300G की विशेषताएं
चीन से दूरी, तुर्की से निकटता
विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक कूटनीति का भी संकेत है. पाकिस्तान और तुर्की के बीच रक्षा सहयोग बढ़ रहा है, और अब इसे एयर डिफेंस क्षेत्र में विस्तार मिलने जा रहा है. इससे न केवल बीजिंग और इस्लामाबाद के संबंधों में दूरी बढ़ सकती है, बल्कि भारत और तुर्की के रिश्तों में नई पेचीदगियां भी सामने आ सकती हैं.
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