Pakistan Taliban Clashes: हाल के दिनों में पाकिस्तान ने अफगान तालिबान के साथ अपने रिश्तों में खटास पैदा कर दी है, जिससे देश के लिए सुरक्षा संबंधी खतरे बढ़ गए हैं. यह सिर्फ अफगानिस्तान के साथ उसकी 2,430 किलोमीटर लंबी सीमा को असुरक्षित नहीं कर रहा, बल्कि पाकिस्तान को एक साथ चार मोर्चों पर युद्ध के जोखिम में भी धकेल रहा है. इस स्थिति ने पाकिस्तानी नेतृत्व को गहराई से चिंतित कर दिया है, और इसी वजह से देश में कई बेतुके और उत्तेजक बयान सामने आए हैं.
साथ ही, पाकिस्तान की भारत के साथ पूर्वी सीमा पहले से तनावपूर्ण है, जहां वह भारत द्वारा किसी भी संभावित फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन का डर भी महसूस कर रहा है. ऐसे में पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक चुनौतियां और बढ़ गई हैं.
पाकिस्तान के लिए कभी रणनीति, अब सिरदर्द
भारत के साथ द्वि-परमाणु पड़ोसियों के बीच युद्ध के जोखिम के बीच, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को एक सैन्य रणनीतिक बफर के रूप में विकसित किया था. उसका उद्देश्य था कि भारत के साथ किसी संघर्ष की स्थिति में अफगानिस्तान को एक ऑपरेशन एरिया या बचाव क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सके.
हालांकि, तालिबान के साथ हालिया तनाव ने इस योजना को नाकाम कर दिया है. पाकिस्तान अब न सिर्फ पश्चिमी मोर्चे पर तालिबान से जूझ रहा है, बल्कि इस वजह से उसके संसाधन बंट रहे हैं और वह भारत के खिलाफ पूर्वी मोर्चे पर कमजोर पड़ रहा है.
भारत ने रणनीति पलटी, पाकिस्तान का पूर्वानुमान विफल
भारत ने धैर्य, रणनीति और कूटनीति के जरिए पाकिस्तान की रणनीतिक बढ़त को उसकी कमजोरी में बदल दिया है. अब पाकिस्तान कम से कम दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका में है, पूर्व में भारत और पश्चिम में तालिबान. इसके अलावा बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोही गतिविधियों के कारण पाकिस्तान को अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए भी अतिरिक्त संसाधन लगाने पड़ रहे हैं.
चार मोर्चों की चुनौती
पाकिस्तान की कुल सीमा लगभग 8,000 किलोमीटर है. इसमें भारत के साथ 3,323 किलोमीटर, अफगानिस्तान के साथ 2,430 किलोमीटर, ईरान के साथ 959 किलोमीटर और चीन के साथ 438 किलोमीटर शामिल हैं. इसके अलावा, दक्षिणी तटरेखा की सुरक्षा भी उसकी चिंता का हिस्सा है.
इस प्रकार, पाकिस्तान को चार मोर्चों पर जंग का सामना करना पड़ रहा है:
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