ऑपरेशन सिंदूर में BSF की इन सात शेरनियों ने मचाया तांडव, चौकी छोड़कर भाग गए पाकिस्तानी सैनिक

    जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में BSF की सात महिला जवानों ने वह कर दिखाया जो अब तक केवल कहानियों में सुनने को मिलता था.

    seven lionesses of BSF wreaked havoc in Operation Sindoor
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में BSF की सात महिला जवानों ने वह कर दिखाया जो अब तक केवल कहानियों में सुनने को मिलता था. असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी की अगुआई में इन जांबाजों ने दुश्मन को ऐसा जवाब दिया कि पाकिस्तानी सैनिक चौकियां छोड़कर भागने को मजबूर हो गए.

    इस अभियान में 72 घंटे तक लगातार चली गोलीबारी के बीच, इन महिला योद्धाओं ने न सिर्फ मोर्चा संभाला, बल्कि भारत की सीमा को अक्षुण्ण रखने का अद्भुत साहस भी दिखाया.

    नेहा भंडारी: पहले ही मौके पर रचा इतिहास

    तीन साल पहले BSF में शामिल हुईं नेहा भंडारी, उस वक्त पहली बार युद्ध जैसी स्थिति में सीधे मोर्चे पर तैनात की गईं. पाकिस्तान की ओर से भारी गोलीबारी के बीच उन्हें विकल्प दिया गया था — पीछे हटने का. लेकिन नेहा ने साफ कह दिया, "हम भी तो सैनिक हैं, हमने भी तो वही ट्रेनिंग ली है जो पुरुषों ने ली है. अब पीछे हटना क्यों?"

    नेहा के इस संकल्प ने एक नई इबारत लिख दी. उन्होंने न केवल दो फॉरवर्ड पोस्ट्स की कमान संभाली, बल्कि सेना की सहायता के लिए आई टुकड़ियों को भी समन्वयित किया. उन्होंने हथियारों और तोपखानों के प्रयोग को लेकर स्वतंत्र निर्णय लिए ऐसा पहली बार हुआ जब किसी महिला अधिकारी ने सीधे युद्ध मैदान में कमान संभाली.

    शेरनियों की टीम: अनुभव और जोश का संगम

    इस ऑपरेशन में नेहा के साथ थीं:

    • मंजीत कौर और मलकीत कौर — पंजाब की यह दो अनुभवी महिला जवान करीब 17 साल से BSF में सेवाएं दे रही हैं.
    • स्वप्ना रथ और शम्पा बासक — पश्चिम बंगाल से
    • सुमी जेस — झारखंड से
    • ज्योति बनियान — ओडिशा से

    इनमें से चार ने हाल ही में, 2023 में ही, BSF जॉइन किया था. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में सभी ने जिस धैर्य, फुर्ती और रणनीति का प्रदर्शन किया, वह किसी दिग्गज योद्धा से कम नहीं था.

    नेहा ने नेतृत्व की नई मिसाल कायम की

    BSF के सुंदरबनी सेक्टर के DIG वरिंदर दत्ता ने नेहा की सराहना करते हुए कहा, "यह पहली बार था जब किसी महिला अधिकारी ने जमीनी स्तर पर युद्ध संचालन की पूरी जिम्मेदारी उठाई. नेहा ने न सिर्फ अपनी टीम को लीड किया, बल्कि मदद के लिए आई सेना की टुकड़ियों के साथ भी समन्वय बनाकर बेहतरीन निर्णय लिए."

    उन्होंने आगे कहा, "नेहा की निडरता और रणनीतिक सोच ने ऑपरेशन सिंदूर को एक निर्णायक सफलता दिलाई."

    सेना में महिला शक्ति का नया अध्याय

    सेना और अर्धसैनिक बलों में अब तक महिलाओं की भूमिका अधिकतर गैर-युद्ध संबंधी कार्यों तक सीमित रही है. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के साथ ही एक नई शुरुआत हो गई है, जिसमें महिला सैनिकों को भी सीधे युद्धभूमि में भाग लेने का मौका मिला और उन्होंने खुद को हर पैमाने पर साबित भी कर दिया.

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