Serbia Student Protest: यूरोप का एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक देश सर्बिया, इन दिनों छात्रों के आक्रोश की आग में जल रहा है. वहां की राजधानी बेलग्रेड की सड़कों पर हजारों युवाओं का हुजूम सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहा है. यह विरोध सिर्फ एक हादसे से उपजा गुस्सा नहीं, बल्कि उस तंत्र के खिलाफ बगावत है जिसे प्रदर्शनकारी "तानाशाही" कह रहे हैं. विरोध की शुरुआत 8 महीने पहले एक रेल हादसे से हुई थी, लेकिन अब यह जनांदोलन बन चुका है. सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक, जो एक दशक से सत्ता में हैं, अब इस आंदोलन की सीधी ज़द में हैं.
कैसे एक हादसा बना छात्र क्रांति की चिंगारी?
1 नवंबर 2024 को सर्बिया के नोवी साड शहर में रेलवे स्टेशन की छत गिरने से 16 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना ने सरकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी को उजागर कर दिया. छात्रों ने सबसे पहले विरोध की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसरों से की, लेकिन धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया.
वर्तमान स्थिति: सड़कों पर संघर्ष, इस्तीफे की राजनीति
सर्बिया में अब 'तानाशाही हटाओ' की लहर
छात्रों का आरोप है कि वुसिक की सरकार ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया है और मीडिया पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है. सोशल मीडिया पर "फ्री सर्बिया" और "वुसिक हटाओ" जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. “ये सिर्फ एक आंदोलन नहीं, आजादी की दूसरी लड़ाई है.” – प्रदर्शनकारी छात्र का बयान
बाहरी असर और तुलना
विश्लेषकों का मानना है कि सर्बिया की मौजूदा स्थिति की तुलना बांग्लादेश की 2024 की छात्र क्रांति से की जा सकती है. जहां छात्र आंदोलन ने राजनीतिक संतुलन को पूरी तरह हिला दिया था. वहीं, वुसिक को अक्सर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का करीबी माना जाता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी और बढ़ गई है.
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