PM Modi Peace Efforts On Ukraine: चीन के तियानजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और चीन के प्रति एक महत्वपूर्ण संदेश दिया. अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट कहा कि यूक्रेन संकट के समाधान की दिशा में भारत और चीन द्वारा किए गए शांति प्रयासों की रूस सराहना करता है.
पुतिन ने कहा, "मैं यूक्रेन संकट को सुलझाने के लिए भारत और चीन के प्रयासों की सराहना करता हूं." यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को लेकर वैश्विक राजनयिक हलचल तेज हो गई है, और भारत एक संभावित मध्यस्थ के तौर पर उभरा है.
अलास्का में ट्रंप से हुई बातचीत का करेंगे खुलासा
पुतिन ने अपने संबोधन में आगे कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हाल ही में अलास्का में हुई द्विपक्षीय बैठक के विवरण साझा करेंगे. उन्होंने दावा किया कि इस बैठक में हुई चर्चा और सहमति यूक्रेन में संभावित शांति के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है. पुतिन ने एक बार फिर यह दोहराया कि, "यूक्रेन का यह संकट किसी आक्रमण से नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित कीव शासन परिवर्तन के कारण उत्पन्न हुआ है."
अमेरिकी अधिकारी का तीखा आरोप: 'यह मोदी का युद्ध है'
वहीं दूसरी ओर, अमेरिका की ओर से एक बार फिर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की गई. व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर इस युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि भारत तेल खरीदना बंद कर दे, तो उसे अमेरिकी टैरिफ में 25% की छूट मिल सकती है. नवारो के तीखे शब्दों ने विवाद को और हवा दी. उन्होंने कहा, "यूक्रेन में शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर जाता है... मूलतः यह मोदी का युद्ध बन चुका है."
भारत की भूमिका बनी वैश्विक फोकस का केंद्र
इन सबके बीच, भारत की भूमिका एक शांतिदूत की तरह उभर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपतियों से संवाद कर चुके हैं. एससीओ समिट में भी भारत की कूटनीतिक मौजूदगी और बढ़ती स्वीकार्यता ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में भारत मध्यस्थता के केंद्र में रह सकता है.
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