Science Park in UP: अब उत्तर प्रदेश के स्कूली बच्चों के लिए विज्ञान सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे विज्ञान को छूकर, देखकर और खुद करके भी समझ सकेंगे. उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त पहल से एक अनोखी और प्रेरणादायक योजना सामने आई है. बता दें कि हर मंडल में "साइंस पार्क" की स्थापना की जा रही है.
यह अभिनव प्रयास कक्षा 6 से 8 तक के परिषदीय स्कूलों के बच्चों को अनुभवात्मक और जिज्ञासा से भरपूर शिक्षा से जोड़ने के लिए किया जा रहा है. लखनऊ के रीजनल साइंस सेंटर की तर्ज पर बनने वाले इन साइंस पार्कों से छात्रों को उनके अपने ही मंडल में विज्ञान के जीवंत और इंटरऐक्टिव अनुभव मिल सकेंगे.
साइंस पार्कों में क्या होगा खास?
इन पार्कों को बच्चों के लिए ज्ञान का खुला मैदान बनाया जाएगा, जहां वे विज्ञान को सिर्फ पढ़ेंगे नहीं, बल्कि उसे जी भी सकेंगे. इनमें सौरमंडल के मॉडल, भूकंप सिम्युलेटर, न्यूटन का कैडल, मौसम केंद्र और ऊर्जा के विभिन्न मॉडल होंगे. इन पार्कों में ट्रैफिक नियमों और आपदा प्रबंधन से जुड़ी एक्टिविटीज होंगी. आपको बता दें कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए की जा रही है.
बच्चे बनेंगे खोजकर्ता
इन पार्कों में सिर्फ प्रदर्शनी नहीं होगी, बल्कि बच्चे खुद प्रयोग कर सकें, नया सोच सकें और उसे साकार भी कर सकें, इसके लिए बाल विज्ञान क्लब, स्टेम आधारित गतिविधियां और विज्ञान मेले और कार्यशालाएं होंगी. इन सबके ज़रिये बच्चों में आविष्कारशीलता और तार्किक सोच को प्रोत्साहन मिलेगा.
कहां बनेंगे ये साइंस पार्क?
राज्य की स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा के मुताबिक, हर साइंस पार्क करीब एक एकड़ में फैला होगा, जिसकी लागत लगभग ₹4 करोड़ आंकी गई है. इन पार्कों के लिए राजकीय इंटर कॉलेज और बालिका कॉलेजों में उपलब्ध जमीन का उपयोग किया जाएगा. जहां जगह नहीं मिलेगी, वहां नगर निगम की मदद से जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. पार्क का डिज़ाइन ऐसा होगा जिसमें ज्यादा से ज्यादा खुला स्थान हो, जिससे निर्माण कार्य कम समय में पूरा किया जा सके. पार्क का संचालन शिक्षा विभाग ही करेगा.
तकनीकी सहयोग से गुणवत्ता की गारंटी
इन साइंस पार्कों को IIT और लखनऊ स्थित आंचलिक विज्ञान केंद्र जैसे विशेषज्ञ संस्थानों की तकनीकी मदद से तैयार किया जाएगा, ताकि बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाला अनुभव मिल सके.
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