जिसे हिंदू पंचांग में सबसे पवित्र और शुभ महीनों में गिना जाता है—इस बार 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से आरंभ हो रहा है. यह पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और देशभर में शिवभक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत-उपवास, पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं. श्रावण की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में घंटियों की गूंज, ओम् नमः शिवाय की ध्वनि और शिवभक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी. खास बात यह है कि जो भक्त पूरे महीने व्रत नहीं रख पाते, वे कम से कम सावन के सोमवार को उपवास और शिव पूजन अवश्य करते हैं.
पहले दिन कब करें शिवलिंग पर जल अर्पण?
शास्त्रों के अनुसार, सावन के पहले दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है. अगर आप इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो नीचे बताए गए शुभ समय में पूजन करें:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:16 बजे से 5:04 बजे तक, यह समय मानसिक शुद्धि और ऊर्जा संचय के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है. इस समय में की गई पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है.
अमृत काल: सुबह 5:30 बजे से 7:15 बजे तक, यदि ब्रह्म मुहूर्त में पूजा संभव न हो, तो अमृत काल भी जलाभिषेक के लिए बेहद शुभ होता है. इस काल में की गई पूजा भक्त को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्रदान करती है.
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:05 बजे से 12:58 बजे तक, यह समय विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो सुबह पूजा नहीं कर पाते. माना जाता है कि यह समय स्वयं भगवान विष्णु द्वारा पूजित है, इसलिए इसमें शिव की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है.
प्रदोष काल: सूर्यास्त के बाद लगभग 8 बजे तक, यह समय भी शिव पूजन के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है. इस काल में किए गए शिवलिंग अभिषेक से पापों का क्षय होता है और विशेष कृपा प्राप्त होती है.
इस बार कितने सोमवार?
इस वर्ष श्रावण मास 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा. इस दौरान कुल चार सोमवार आएंगे, जो निम्नलिखित हैं. 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त
शिव पूजन के साथ करें ध्यान और साधना
सिर्फ जलाभिषेक ही नहीं, सावन का महीना आत्मिक शुद्धि और साधना के लिए भी उत्तम माना गया है. भगवान शिव को आदियोगी माना जाता है—ध्यान, योग और ध्यानशीलता के मार्गदर्शक. इस दौरान ध्यान, मंत्र जप और संयम का अभ्यास करने से मानसिक स्थिरता और आंतरिक शांति मिलती है.
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