नई दिल्ली. ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता के बाद भारत में विकसित रक्षा तकनीकें दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रही हैं. इसी कड़ी में स्वदेशी गाइडेड पिनाका रॉकेट सिस्टम (Guided Pinaka Rocket System) की अंतरराष्ट्रीय मांग तेजी से बढ़ रही है. यह मल्टी-बैरेल रॉकेट लॉन्चर अब केवल भारतीय सेना की ताकत नहीं, बल्कि भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट का भी दमदार उदाहरण बन गया है.
सऊदी अरब, वियतनाम और इंडोनेशिया को भाया पिनाका
सोलर इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक (रिटा.) मेजर जनरल वी. आर्य ने जानकारी दी कि सऊदी अरब, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों ने पिनाका में खास दिलचस्पी दिखाई है. उन्होंने इस सिस्टम को अपने रक्षा बेड़े में शामिल करने की इच्छा जताई है. इससे पहले आर्मीनिया ने भारत से पिनाका खरीदा था और उसे अज़रबैजान के खिलाफ संघर्ष में उपयोग में लाया, जिसने इसके प्रभाव को दुनिया के सामने सिद्ध कर दिया.
क्या है पिनाका की ताकत?
पिनाका एक मल्टी-बैरेल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) है, जिसे भारत के DRDO और सोलर इंडस्ट्रीज ने मिलकर विकसित किया है. इसका गाइडेड वर्जन अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और यह सैटेलाइट निर्देशित प्रणाली से काम करता है. 12 रॉकेट एक साथ दागने में सक्षम, एक बैटरी 1 टन तक का विस्फोटक कुछ सेकंड में दाग सकती है, 75 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक सटीक निशाना, गाइडेड तकनीक के कारण दुश्मन के ठिकानों पर सीधा प्रहार.
क्या है लागत?
पिनाका रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि यह अमेरिकी HIMARS सिस्टम के मुकाबले काफी किफायती है. एक गाइडेड रॉकेट की कीमत लगभग, $56,000 (करीब 4.6 करोड़ रुपये), एक यूनिट (लॉन्चर कंट्रोल सिस्टम) की कीमत 140–150 करोड़ रुपये, पूरी रेजीमेंट (6 लॉन्चर सपोर्ट सिस्टम) की लागत लगभग 850 करोड़ रुपये.
‘मेक इन इंडिया’ का सशक्त उदाहरण
पिनाका सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की एक बड़ी छलांग है. इसे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की रक्षा क्षेत्र में सबसे सफल परियोजनाओं में गिना जा रहा है. भारत न सिर्फ अपनी सेनाओं को अत्याधुनिक बना रहा है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी एक भरोसेमंद डिफेंस एक्सपोर्टर के रूप में उभर रहा है.
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