सैफ अली खान को 15000 करोड़ का चूना! जानिए क्या होती है शत्रु संपत्ति, जिसमें फंस गए एक्टर

    मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पहले ट्रायल कोर्ट के पुराने आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत अभिनेता सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनों सोहा-सबा अली खान को नवाब की संपत्ति का वारिस माना गया था.

    Saif Ali Khan 15000 crores enemy property
    सैफ अली खान | Photo: ANI

    भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान की विरासत को लेकर लंबे समय से चली आ रही कानूनी जंग में नया अध्याय जुड़ गया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पहले ट्रायल कोर्ट के पुराने आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत अभिनेता सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनों सोहा-सबा अली खान को नवाब की संपत्ति का वारिस माना गया था. अब इस मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में फिर से शुरू करनी होगी.

    शत्रु संपत्ति की चुनौती

    इस पूरे विवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू है ‘शत्रु संपत्ति’ की कानूनी पहचान, जिसने सैफ अली खान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. सरकार ने भोपाल स्थित उनके कई पुश्तैनी आवास—जैसे फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दारुस सलाम, अहमदाबाद पैलेस, हबीबी बंगला, कोहेफिज़ा—को Enemy Property (शत्रु संपत्ति) घोषित कर दिया है. इनकी अनुमानित कीमत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है.

    क्या होती है शत्रु संपत्ति?

    1965 के भारत–पाक युद्ध और इसके बाद 1968 में लागू Enemy Property Act के तहत, जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए हैं और वहां की नागरिकता ले ली है, उनकी भारत में बची संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित किया जा सकता है. इन संपत्तियों की देखरेख कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी करता है. शत्रु संपत्ति कानून प्रारंभ में पाकिस्तान से जुड़ी सम्पत्तियों के लिए शुरू हुआ था, लेकिन बाद में भारत-चीन युद्ध के संपत्ति छूटने तक इसे लागू कर दिया गया.

    सैफ अली खान का केस क्या है?

    सैफ अली खान की मौसी अबिदा सुल्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गई थीं, जबकि उनकी बहन साजिदा सुल्तान भारत में ही रहीं. इसी भेदभाव को आधार बनाकर सरकार ने सैफ खान की कई संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित कर दीं. सैफ ने 2015 में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की और अस्थायी राहत पाई. लेकिन सत्र निर्णय 13 दिसंबर 2024 को इस स्टे को निरस्त कर दिया गया, जिससे संपत्तियां कानूनी तौर पर शत्रु संपत्ति बन गईं. कोर्ट ने सैफ को 30 दिन में पुनः दावा दाखिल करने का मौका दिया था, लेकिन उन्होंने समय पर आवेदन नहीं किया.

    न्यायालय का नया निर्देश और आगे की राह

    हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि यह केस एक साल के भीतर निपटाया जाए. न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने तक इस संपत्ति पर किसी भी बदलाव की संभावना बनी रहेगी. अगर ट्रायल कोर्ट साजिदा सुल्तान के वारिसों के दावे को वैध मान लेता है, तो सैफ अली खान के इन संपत्तियों पर अधिकार प्रभावित हो सकते हैं.

    मुकदमे के केंद्र में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट, 1937 का भी मामला है, जिसके तहत उत्तराधिकारियों में बराबरी का हक तय है. अब देखने की बात यह है कि कोर्ट किस पक्ष में अपना निर्णय सुनाता है और शरिया कानून या Enemy Property Act की धाराओं के तहत घोषित संपत्तियों का मामला कैसे सुलझाया जाएगा.

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