भारत-रूस की दोस्ती अटूट, अमेरिका से आई तस्वीर ने मचाई व्हाइट हाउस में हलचल; ट्रंप परेशान!

    India Russia Relations: संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर भारत की कूटनीति ने इस बार अपना प्रभाव दिखाया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की, जो वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में खास महत्व रखती है.

    S. Jaishankar meets Sergei Lavrov in the US leaving Trump upset know more
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    India Russia Relations: संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर भारत की कूटनीति ने इस बार अपना प्रभाव दिखाया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की, जो वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में खास महत्व रखती है. यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब पश्चिमी देशों की ओर से भारत के प्रति विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं. खासतौर पर नाटो के महासचिव मार्क रुटे द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने के फैसले की सराहना के बीच, इस बैठक ने दोनों देशों के बीच संवाद के द्वार खोल दिए.

    रूसी दूतावास ने इस वार्ता की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए बताया कि बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ यूक्रेन संघर्ष और मध्य-पूर्व की जटिल परिस्थितियों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. जयशंकर ने इस मुलाकात को ‘उपयोगी’ बताया और कहा कि दोनों देशों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया है.

    यूक्रेन मुद्दे पर खुली बातचीत 

    रूस और भारत के बीच यह संवाद इसलिए भी अहम है क्योंकि दिसंबर में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा प्रस्तावित है. साथ ही, रूस के उपप्रधानमंत्री दिमित्री पत्रुशेव भी जल्द ही नई दिल्ली आने वाले हैं. इस बातचीत में यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में स्थिति पर गहन चर्चा हुई और भारत ने रूसी सेना में भर्ती किए गए भारतीय नागरिकों के मामले को भी जोरदार ढंग से उठाया.

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि करीब 27 भारतीय फिलहाल रूसी सेना में शामिल हैं, जिनमें से कुछ को युद्ध मोर्चे पर भेजा गया है. उन्होंने सभी भारतीयों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की भर्ती से दूर रहें क्योंकि यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है. सूत्रों के अनुसार, कई भारतीय छात्र और कारोबारी जो वीजा पर रूस गए थे, उन्हें जबरन सैन्य इकाइयों में भर्ती कराया गया है. अब तक करीब 150 भारतीय इस तरह भर्ती हुए हैं, जिनमें से 12 की मौत हो चुकी है, 96 को रिहा किया गया है और 16 अभी भी लापता हैं.

    अमेरिकी विदेश मंत्री से टैरिफ और व्यापार पर चर्चा

    रूस के अलावा, जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ भी व्यापार और टैरिफ के मुद्दों पर बातचीत की. इसके अलावा मलेशिया, ब्रिटेन और इंडोनेशिया के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात कर भारत ने अपने वैश्विक रिश्तों को मजबूती प्रदान की.

    जयशंकर ने जी-4 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लिया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई. जापान, जर्मनी और ब्राजील के प्रतिनिधियों के साथ हुई इस बैठक ने भारत के वैश्विक नेतृत्व को भी रेखांकित किया.

    सक्रिय कूटनीति से भारत का बढ़ता प्रभाव

    कुल मिलाकर, यूएन महासभा के दौरान भारत की कूटनीतिक गतिविधियाँ बेहद सक्रिय और प्रभावशाली रहीं. विदेश मंत्री जयशंकर ने न केवल प्रमुख वैश्विक समस्याओं पर विचार-विमर्श किया बल्कि विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को भी सुदृढ़ किया. इस कूटनीतिक सक्रियता से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को मजबूती से स्थापित किया है और आने वाले समय में भी अपने हितों की रक्षा के लिए दृढ़ता से खड़ा रहेगा.

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