Donbas Importance: दुनिया की निगाहें एक बार फिर पूर्वी यूरोप पर टिक गई हैं, जहां रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब एक संभावित “राजनीतिक सौदे” की ओर बढ़ता दिख रहा है, लेकिन साथ ही एक नई असहमति भी उभर रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अलास्का में हुई एक बंद-द्वार बैठक में युद्धविराम की एक संभावित योजना पर चर्चा हुई, लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी यूक्रेन तक पहुंची, मामला उलटा भड़क गया.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप के सामने प्रस्ताव रखा कि यदि यूक्रेन, पूर्वी डोनबास क्षेत्र, डोनेत्स्क और लुहान्स्क से अपनी सेना हटा ले, तो रूस दक्षिणी यूक्रेन के हिस्सों में सैन्य कार्रवाई रोक सकता है. इसके तहत खेरसोन और जापोरीजिया में हमले रोके जा सकते हैं और मौजूदा फ्रंटलाइन को फ्रीज़ कर दिया जाएगा. ट्रंप ने जैसे ही इस प्रस्ताव को यूरोपीय नेताओं और यूक्रेन तक पहुँचाया, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इसपर सख्त प्रतिक्रिया दी. यूक्रेनी राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा, डोनबास को लेकर कोई समझौता नहीं होगा.
क्यों खास है डोनबास?
डोनबास केवल एक भौगोलिक इलाका नहीं, बल्कि यूक्रेन की औद्योगिक रीढ़ है. यहां कोयले की खदानें, भारी उद्योग, ऊर्जा संसाधन और खनिज भंडार मौजूद हैं. डोनेत्स्क और लुहान्स्क इस क्षेत्र के दो मुख्य हिस्से हैं, जहां सालों से रूस-समर्थित अलगाववादी भी सक्रिय रहे हैं.
अगर रूस इस पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण पा लेता है, तो उसे न केवल आर्थिक बढ़त मिलेगी, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी यह रणनीतिक रूप से बेहद अहम होगा. इससे रूस को खारकीव, पोलतावा और ड्नीप्रो जैसे बड़े शहरों तक सैन्य पहुँच बनाना आसान हो जाएगा.
ज़ेलेंस्की की दो टूक
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का कहना है कि डोनबास को छोड़ना यूक्रेन के अस्तित्व से समझौता करना होगा. उनका तर्क है कि अगर आज डोनबास दे दिया गया, तो कल रूस फिर आगे बढ़ेगा. इसीलिए न सिर्फ यूक्रेन, बल्कि पश्चिमी देशों ने भी पुतिन की इस "शांति योजना" को सिरे से खारिज कर दिया है. जर्मनी और ब्रिटेन ने भी स्पष्ट किया है कि बलपूर्वक सीमाएं बदली नहीं जा सकतीं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने तो यह तक कह दिया है कि अगर रूस युद्ध जारी रखता है, तो उस पर नए और सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
ट्रंप की भूमिका और आगे की राह
ट्रंप, जो 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में फिर से मैदान में हैं, इस योजना को एक "डीलमेकिंग" अवसर के रूप में देख रहे थे. लेकिन फिलहाल यह प्रयास यूक्रेन की सख्त प्रतिक्रिया के बाद ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है. हालांकि, ज़ेलेंस्की और ट्रंप के बीच जल्द ही एक बैठक होने की उम्मीद है, जहां स्थिति को लेकर सीधे संवाद किया जा सकता है.
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