मॉस्को: रूस ने हाल ही में यूक्रेन के खिलाफ एक ऐसा सैन्य कदम उठाया है, जिसने न केवल यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाया है, बल्कि अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की चिंता भी बढ़ा दी है. यह हमला 18 जुलाई को हुआ, जब रूस ने अपने लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों के जरिए 3800 किलोमीटर दूर से यूक्रेन में मिसाइलें दागीं. यह एक सैन्य-रणनीतिक संकेत है कि रूस अपने हवाई अभियानों में अब एक नई, अप्रत्याशित रणनीति अपना रहा है.
बेलाया एयरबेस से हुई शुरुआत
रूसी वायुसेना के दो Tu-95 बमवर्षक विमानों ने इस अभियान की शुरुआत की इरकुत्स्क ओब्लास्ट के बेलाया एयरबेस से, जो यूक्रेन की सीमा से लगभग 2360 मील (3800 किमी) दूर स्थित है. इस दूरी को तय करने के लिए विमानों ने रास्ते में Il-78 टैंकर विमानों से ईंधन भरा, जो रूस की एरियल रिफ्यूलिंग क्षमता की मजबूती को दर्शाता है.
इन बमवर्षकों ने आगे चलकर सारातोव ओब्लास्ट के एंगेल्स क्षेत्र के पास से नौ Kh-101 क्रूज मिसाइलें लॉन्च कीं. यह वही इलाका है जहां से रूस आमतौर पर अपने लंबी दूरी के हमले करता रहा है, लेकिन इस बार प्रस्थान स्थल को बदलकर उसने पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को चौंका दिया.
अमेरिका की बढ़ी चिंता: क्यों है यह हमला अहम?
रूस की इस नई रणनीति ने अमेरिका को खासा परेशान किया है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इतने दूर से हमला करने की योजना यह दर्शाती है कि रूस अब अपनी पारंपरिक हवाई रणनीति में बड़ा बदलाव कर रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला न सिर्फ यूक्रेनी एयर डिफेंस को चकमा देने की कोशिश है, बल्कि यह अमेरिका और नाटो के लिए एक चेतावनी भी हो सकता है कि रूस अब अपने बमवर्षकों की क्षमता का विस्तार कर रहा है.
Tu-95: शीत युद्ध का विमान
Tu-95 "Bear" नाम से मशहूर यह रणनीतिक बमवर्षक विमान शीत युद्ध के दौर में डिजाइन किया गया था. अपनी लंबी दूरी की उड़ान क्षमता और Kh-101 जैसी आधुनिक क्रूज मिसाइलों से लैस होने के कारण यह आज भी रूस की वायुसेना के लिए एक विश्वसनीय हथियार प्रणाली बना हुआ है. इस हमले में इसने बिना कहीं लैंडिंग किए मिशन पूरा किया और उसके बाद एंगेल्स-2 एयरबेस पर उतरा.
बेलाया एयरबेस का चुनाव क्यों?
बेलाया एयरबेस से इस ऑपरेशन की शुरुआत को विशेषज्ञ एक सोच-समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. रूस ने स्पष्ट तौर पर अपने बमवर्षकों को परंपरागत लॉन्च साइट्स से हटाकर ऐसे इलाकों से ऑपरेट करना शुरू किया है जो दुश्मन के रडार कवरेज से बाहर हैं. इस तरह की रणनीति से न केवल मिसाइल लॉन्च को कम अनुमानित बनाया जा सकता है, बल्कि दुश्मन की प्रतिक्रिया की संभावना भी धीमी और भ्रमित करने वाली हो सकती है.
आगे क्या?
रूस की यह नई रणनीति दर्शाती है कि मॉस्को अब अपनी वायु शक्ति का लचीलापन और अप्रत्याशितता बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. अमेरिका और नाटो के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि रूस के पास अभी भी ऐसी क्षमताएं हैं जो पारंपरिक सैन्य सोच से परे हैं.
यूक्रेन में युद्ध अभी समाप्ति से दूर है, लेकिन इस प्रकार के ऑपरेशंस यह संकेत जरूर देते हैं कि रूस रणनीतिक मोर्चे पर अब अलग चालें चलना शुरू कर चुका है. अमेरिका और उसके सहयोगियों को इस नई वास्तविकता के लिए तैयार रहना होगा.
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