भारत और रूस के रक्षा सहयोग को एक नई दिशा देने वाला बड़ा प्रस्ताव सामने आया है. रूस ने भारतीय नौसेना को ऐसी क्रूज मिसाइलें उपलब्ध कराने का ऑफर दिया है, जो भारत की पनडुब्बियों को वर्तमान क्षमता से कई गुना अधिक मारक शक्ति प्रदान करेंगी. रिपोर्टों के मुताबिक, रूस ने भारत को ‘कालिब्र’ (Kalibr) सबमरीन-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइलों से लैस करने की पेशकश की है, जिनकी मारक दूरी लगभग 1500 किलोमीटर तक मानी जाती है.
यह मिसाइलें भारतीय नौसेना की किलो-क्लास (Project 877EKM) पनडुब्बियों से बिना किसी बड़े स्ट्रक्चर सुधार के दागी जा सकती हैं. भारतीय नौसेना के एक प्रतिनिधिमंडल को इस साल की शुरुआत में मॉस्को में प्रस्ताव का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया था.
बिना बड़े बदलाव के डीप-स्ट्राइक पावर का विकल्प
Kalibr मिसाइल परिवार एक ‘स्टैंडर्ड 533 मिमी टॉरपीडो ट्यूब’ के माध्यम से लॉन्च किया जा सकता है. इसका मतलब है कि मौजूदा भारतीय किलो-क्लास पनडुब्बियों पर इसे लगाने के लिए बड़े प्लेटफॉर्म मॉडिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी.
यदि भारत इसे स्वीकार करता है, तो नौसेना को तीन बड़े फायदे मिलेंगे:
1. लंबी दूरी से जमीन पर रणनीतिक हमले की क्षमता
Kalibr की 1500 किमी रेंज भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में पहले से कहीं बड़े भू-क्षेत्र तक अपनी ऑपरेशनल पहुंच बढ़ाने का मौका देगी.
2. बहु-भूमिका मिसाइल सिस्टम का लाभ
Kalibr फैमिली में एंटी-शिप, एंटी-लैंड और मल्टीरोल वेरिएंट शामिल हैं, जो किसी पनडुब्बी को एक ही समय में कई तरह के मिशन पूरे करने की क्षमता देते हैं.
3. ब्रह्मोस और निर्भय के बीच एक मजबूत विकल्प
भारत पहले से ही ब्रह्मोस और निर्भय-श्रेणी की मिसाइलों पर काम कर रहा है, लेकिन Kalibr इन्हें लागू होने से पहले का तत्काल और कम-जोखिम वाला समाधान माना जा रहा है.
सेकंड-स्ट्राइक क्षमता को मिलेगा नया आयाम
रणनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के किलोक्लास बेड़े में से केवल छह पनडुब्बियों को भी Kalibr मिसाइल से लैस कर दिया जाए, तो यह समुद्री सेकंड-स्ट्राइक क्षमता को मजबूती प्रदान करेगा- एक ऐसी क्षमता जो भारत की समग्र परमाणु त्रयी के लिए बेहद अहम है.
रेंज का रणनीतिक महत्व
1500 किमी की मारक दूरी का मतलब है कि भारतीय पनडुब्बियाँ—
जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गहरे समुद्र के अंदर से भी दुश्मन के महत्वपूर्ण सैन्य और आर्थिक लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं.
यूक्रेन युद्ध में Kalibr का व्यापक उपयोग
रूस ने यूक्रेन संघर्ष के दौरान Kalibr मिसाइलों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है.
इन मिसाइलों का इस्तेमाल रूस ने—
जैसे लक्ष्यों पर सटीक हमलों के लिए किया.
Kalibr के सफल संचालन ने इसे दुनिया की प्रभावशाली सबमरीन-लॉन्च्ड मिसाइलों में शामिल किया है, और यही वजह है कि भारत इस सिस्टम को एक विश्वसनीय अंतरिम समाधान के रूप में देख रहा है.
भारत-रूस मिसाइल सहयोग पहले से मजबूत
भारत पहले से ही रूस के साथ कई मिसाइल प्रणालियों में साझेदारी कर चुका है. इसी वर्ष की शुरुआत (फरवरी 2025) में भारत ने रूस से Kalir-PL एंटी-शिप क्रूज मिसाइल खरीदने के लिए एक समझौता किया था.
इसके अलावा DRDO और रूसी कंपनी NPOM मिलकर भारत के स्वदेशी SLCM (Submarine-Launched Cruise Missile) को विकसित करने पर काम कर रहे हैं, जिसे लंबी अवधि में भारतीय पनडुब्बियों का मुख्य हथियार बनाया जाएगा.
Kalibr को एक ‘अंतरिम क्षमता’ की तरह देखा जा रहा है, जो स्वदेशी सिस्टम आने तक नौसेना को समय देगी और वास्तविक युद्ध परिस्थिति में अनुभव भी बढ़ाएगी.
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