मॉस्को में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंच पर बोलते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी एशिया में रणनीतिक अस्थिरता पैदा करने के इरादे से भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को आपस में भिड़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
‘सीमाओं के बिना संस्कृति’ विषय पर आयोजित डिप्लोमैटिक क्लब की बैठक में लावरोव ने कहा, “पश्चिम एशिया-प्रशांत क्षेत्र को अब 'हिंद-प्रशांत' कहने लगा है, ताकि चीन विरोधी नीति को बढ़ावा दिया जा सके. यह प्रयास भारत और चीन जैसे हमारे पुराने मित्र देशों के बीच तनाव को बढ़ावा देने की चाल भी है.”
क्वाड और AUKUS को लेकर भी जताई चिंता
रूसी मंत्री ने 'क्वाड' और 'AUKUS' जैसे पश्चिमी सैन्य गठबंधनों को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि क्वाड, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, को चीन के खिलाफ खड़ा किया गया है. हालांकि AUKUS के गठन के बाद रूस की आलोचना की दिशा में थोड़ा बदलाव जरूर आया है, लेकिन लावरोव ने साफ कहा कि इन गठबंधनों का मकसद क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करना है.
आसियान की भूमिका को कमजोर करने का आरोप
लावरोव ने स्पष्ट किया कि पश्चिमी देश दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रीय संगठन 'आसियान' की केंद्रीय भूमिका को कम करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. उनके अनुसार, “पश्चिमी देश यहां भी प्रभाव जमाना चाहते हैं, और वे कुछ आसियान देशों को अलग-अलग मंचों पर जोड़ने के लिए उकसा रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय एकता को नुकसान हो सकता है.”
आसियान में 10 देश शामिल हैं—इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम. यह संगठन क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य करता है.
यूरेशिया के लिए सामूहिक मंच की वकालत
लावरोव ने यह भी कहा कि यूरेशिया, जहां विभिन्न सभ्यताएं सह-अस्तित्व में हैं, वहां अभी तक कोई महाद्वीप-व्यापी मंच नहीं है. उन्होंने अफ्रीका और लातिन अमेरिका के उदाहरणों का हवाला देते हुए सुझाव दिया कि यूरेशिया को भी एक ऐसा मंच चाहिए, जो क्षेत्रीय शक्तियों के बीच संतुलन बना सके.
उन्होंने कहा, “यह आश्चर्य की बात है कि अफ्रीका में अफ्रीकी संघ है, लातिन अमेरिका में CELAC है, लेकिन यूरेशिया में अब तक कोई संयुक्त मंच नहीं बन पाया है. हमें एक समर्पित प्लेटफॉर्म की जरूरत है, जो इस विशाल क्षेत्र की विविधताओं को एकजुट कर सके.”
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