Russia Earthquake: रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचात्स्की प्रायद्वीप में मंगलवार को एक भीषण भूकंप ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.8 मापी गई, जिसे विशेषज्ञ दशकों का सबसे शक्तिशाली झटका बता रहे हैं. झटकों के फौरन बाद रूस और जापान के तटीय इलाकों में सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई है.
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, यह भूकंप 136 किलोमीटर पूर्व में समुद्र के भीतर, लगभग 19.3 किलोमीटर गहराई में आया. इस वजह से इसके झटके सतह पर बेहद तीव्र थे और इसके बाद सुनामी की आशंका भी बढ़ गई है.
कुरिल द्वीप समूह में टकराईं सुनामी लहरें
तेज झटकों के बाद रूस के कुरिल द्वीपों में सुनामी की लहरें टकराना शुरू हो गई हैं. प्रशासन ने सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया और तटीय इलाकों से दूर रहने की अपील की. समुद्र का जल स्तर तेजी से बढ़ता नजर आया, जिससे लोग घबराकर अपने घर छोड़ सुरक्षित जगहों की ओर निकलने लगे. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में घर, इमारतें और सड़कें हिलती हुई दिखाई दे रही हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसे झटके वर्षों बाद महसूस किए गए हैं. कई इलाकों में हालात को देखते हुए आपात सेवाएं अलर्ट पर हैं.
हवाई और जापान को भी खतरा
भूकंप के प्रभाव सिर्फ रूस तक सीमित नहीं रहे. जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने अपने तटों पर 1 मीटर तक ऊंची लहरों की चेतावनी दी है. वहीं, हवाई द्वीप समूह की सिविल डिफेंस एजेंसी ने सोशल मीडिया पर कहा है कि यह भूकंप इतना ताकतवर है कि हवाई में भी विनाशकारी लहरें उठ सकती हैं. USGS ने यह भी आगाह किया है कि 0.3 से 1 मीटर ऊंची लहरें चुउक, कोसरे, मार्शल द्वीप समूह, पलाऊ और फिलीपींस के कुछ हिस्सों तक पहुंच सकती हैं.
जापान ने बनाई इमरजेंसी टीम
जैसे ही जानकारी सामने आई, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को पूरी स्थिति से अवगत कराया गया और सरकार ने तुरंत आपातकालीन कमेटी का गठन किया. समिति का काम है भूकंप और सुनामी से जुड़े आंकड़ों को एकत्रित करना और राहत कार्यों की योजना तैयार करना. हालांकि अब तक किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एक किंडरगार्टन के क्षतिग्रस्त होने की खबर सामने आई है. वहीं, सखालिन क्षेत्र के सेवेरो-कुरिल्स्क शहर से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
पहले भी आ चुके हैं शक्तिशाली झटके
यह पहला मौका नहीं है जब कामचात्स्की भूकंप से थर्राया हो. जुलाई की शुरुआत में भी समुद्र के भीतर पांच जोरदार भूकंप आए थे, जिनमें सबसे शक्तिशाली की तीव्रता 7.4 थी. साल 1952 में 9.0 तीव्रता के भूकंप ने इस क्षेत्र को बुरी तरह हिला दिया था, जिससे हवाई में 9.1 मीटर तक ऊंची लहरें उठी थीं.
अगले कुछ घंटे बेहद संवेदनशील
विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप की उथली गहराई और इसका स्थान इसे बेहद खतरनाक बनाता है. यही वजह है कि अगले कुछ घंटे तटीय इलाकों के लिए बेहद संवेदनशील माने जा रहे हैं. अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने और सभी आपात निर्देशों का पालन करने की अपील की है. रूस और जापान सहित पूरे प्रशांत क्षेत्र की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह आपदा और विकराल रूप लेगी या हालात काबू में आ जाएंगे.
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