Russia Earthquake: रूस के कुरील द्वीप और कामचटका क्षेत्र एक बार फिर प्रकृति के भयावह रूप से कांप उठे हैं. रविवार को एक बार फिर धरती हिली और इस बार कंपन महसूस हुआ कुरील द्वीपों में. इससे पहले बुधवार को कामचटका प्रायद्वीप में रिकॉर्ड तीव्रता वाला भूकंप और उसके बाद ज्वालामुखी विस्फोट ने रूस के एक बड़े हिस्से को आपदा की चेतावनी में झोंक दिया था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिलसिला अब भी थमा नहीं है, और आने वाले दिन और भी खतरनाक हो सकते हैं.
जर्मन जियोसाइंस रिसर्च सेंटर (GFZ) के अनुसार, रविवार को रूस के कुरील द्वीप क्षेत्र में 6.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. शुरू में इस भूकंप की तीव्रता 6.35 बताई गई थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित किया गया. इसका केंद्र समुद्रतल से 10 किलोमीटर नीचे था.
रविवार को आया एक और झटका, 6.7 रही तीव्रता
वहीं अमेरिका की जियो साइंस एजेंसी और प्रशांत सुनामी चेतावनी प्रणाली ने भूकंप की तीव्रता को 7.0 बताया है. हालांकि राहत की बात यह रही कि इस भूकंप के बाद किसी प्रकार की सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की गई.
कामचटका में बुधवार को आया था खतरनाक भूकंप
इससे पहले बुधवार को रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था. इसका असर इतना व्यापक था कि लहरें पूरे प्रशांत महासागर में फैल गईं. जापान, हवाई, और चिली जैसे देशों में भी इसका असर महसूस किया गया. भूकंप के कारण रूस के कई बंदरगाह शहरों में पानी भर गया, और लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना किया गया. आपातकालीन विभाग ने तुरंत रेड अलर्ट जारी कर दिया था. इसी दौरान, एक पुराने और निष्क्रिय माने जा रहे ज्वालामुखी में भी अचानक विस्फोट हुआ, जिसने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया.
600 साल बाद जगा कामचटका का ज्वालामुखी
रविवार को रूस के इमरजेंसी मंत्रालय ने पुष्टि की कि कामचटका क्षेत्र में एक ज्वालामुखी 600 वर्षों की नींद के बाद फट पड़ा है. इस विस्फोट के दृश्य कैमरों में कैद हुए हैं, जिसमें आसमान की ओर उठता धुएं और राख का विशाल गुबार साफ नजर आ रहा है. भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप की तीव्रता और स्थान को देखते हुए ज्वालामुखी का फटना अप्रत्याशित नहीं है. इन दोनों घटनाओं का गहरा संबंध हो सकता है. ऐसे में विशेषज्ञों ने संभावित आफ्टरशॉक्स को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है.
रूस पर मंडराता प्राकृतिक आपदा का खतरा
लगातार दो बड़े भूकंप और एक सक्रिय हुआ ज्वालामुखी यह संकेत दे रहे हैं कि रूस का सुदूर पूर्वी क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से बेहद अस्थिर स्थिति में है. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि यह प्राकृतिक आपदाएं केवल शुरुआत हो सकती हैं. आपातकालीन एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है, और नागरिकों को सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है. रूसी प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और समुद्र की गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जा रही है.
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