Thailand Cambodia Clash: दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. 24 जुलाई से शुरू हुआ यह खूनी संघर्ष दोनों देशों के बीच पहले से चल रहे तनाव को और बढ़ा चुका है. कंबोडियाई सेना ने इस संघर्ष में रूसी मूल के BM-21 ग्रैड मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल किया, जिससे स्थिति और जटिल हो गई. थाईलैंड ने इसका जवाब अपनी गोलाबारी से दिया है, लेकिन अब तक दोनों पक्षों में 15 लोगों की जान जा चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं.
इस संघर्ष की जड़ें कई साल पुरानी हैं, और इसका संबंध 7वीं शताब्दी के एक हिंदू मंदिर से जुड़ा है. यह मंदिर कंबोडिया की सीमा में स्थित है, लेकिन थाईलैंड का दावा है कि मंदिर के आसपास का इलाका उसका है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने पहले ही कंबोडिया के अधिकार को मान्यता दी थी, लेकिन थाईलैंड की सेना की सीमा में बढ़ती गतिविधियाँ और स्थानीय जनसंख्या का समर्थन इस विवाद को शांत नहीं होने दे रहे.
क्यों बढ़ा है विवाद?
इस बार जो हथियार इस्तेमाल हुए हैं, वे दर्शाते हैं कि यह संघर्ष अब पारंपरिक लड़ाई से बाहर निकल चुका है. BM-21 ग्रैड रॉकेट सिस्टम जैसे आधुनिक और भारी हथियारों का इस्तेमाल संघर्ष को एक नई दिशा में ले जा सकता है.
BM-21 ग्रैड रॉकेट सिस्टम: क्या है यह हथियार?
BM-21 ग्रैड रॉकेट सिस्टम एक सोवियत कालीन मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर है, जिसे 1960 के दशक में विकसित किया गया था. यह ट्रक पर आधारित एक शक्तिशाली हथियार है, जो एक बार में 40 रॉकेट फायर कर सकता है. इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मन के ठिकानों को एक साथ निशाना बना सकता है, जिसमें टैंक, तोपें और सैनिकों के अड्डे शामिल हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के हथियार सीमित संघर्षों में इस्तेमाल नहीं किए जाते. इनका प्रयोग आमतौर पर बड़े युद्धों या गंभीर संकटों के दौरान किया जाता है. इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि कंबोडिया अब किसी भी प्रकार के सीमित टकराव से बाहर निकलकर आक्रामक रुख अपनाने के लिए तैयार है.
क्षेत्रीय खतरे की आशंका
सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक, BM-21 जैसे उच्च तकनीकी हथियारों का इस्तेमाल युद्ध की गंभीर स्थितियों का संकेत है. इस प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल न केवल थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है, बल्कि यह पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है. यदि दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा होती है, तो इसका असर न केवल उनकी द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़ेगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए त्वरित कदम उठाने की जरूरत है.
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