Russia and Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे हो चुके हैं और अब यह संघर्ष केवल युद्धभूमि तक सीमित नहीं रह गया है. हाल ही में यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसियों ने चौंकाने वाला दावा किया है. रूस की खुफिया एजेंसी अब आईएसआईएस जैसी आतंकी रणनीति अपनाते हुए यूक्रेन के ही बच्चों और युवाओं को आत्मघाती हमलों के लिए तैयार कर रही है. इस रहस्योद्घाटन से न केवल यूक्रेन, बल्कि वैश्विक सुरक्षा समुदाय में भी हलचल मच गई है.
द गार्जियन की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
ब्रिटिश समाचार पत्र द गार्जियन के अनुसार, यूक्रेनी सुरक्षा सेवा (SBU) का कहना है कि रूस टेलीग्राम जैसे ऑनलाइन माध्यमों से यूक्रेन के गरीब और बेरोजगार युवाओं तक पहुंच बना रहा है. इन्हें झूठे वादों और पैसों के लालच में फंसाकर ऐसे मिशन दिए जा रहे हैं, जिनमें वे अनजाने में विस्फोटक उपकरणों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं. कई बार उन्हें यह भी नहीं बताया जाता कि वे एक आत्मघाती हमले का हिस्सा हैं.
कम लागत, ज्यादा नुकसान: रूस की साजिश
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की यह रणनीति उन्हें 'कम लागत में अधिक नुकसान' देने का मौका देती है. फ्रंटलाइन से दूर रहते हुए रूस यूक्रेन की आंतरिक स्थिरता को चोट पहुंचा रहा है, और हमला करने वाले यदि यूक्रेनी नागरिक हों, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस को सीधे दोषी ठहराना भी मुश्किल हो जाता है. SBU के प्रवक्ता आर्टेम डेख्तियारेंको के अनुसार, यह अभियान 2023 की शुरुआत में शुरू हुआ था. शुरुआत में डाकघरों, भर्ती कार्यालयों और सैन्य वाहनों को जलाने जैसे छोटे पैमाने के हमलों के माध्यम से इसे अंजाम दिया गया. बाद में यह अभियान अधिक खतरनाक रूप लेता गया.
टेलीग्राम बना रूस का डिजिटल हथियार
टेलीग्राम एप अब रूस की खुफिया गतिविधियों का प्रमुख जरिया बन चुका है. रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस इस एप के माध्यम से यूक्रेन के भीतर रहने वाले लोगों तक सीधा संपर्क बना रहा है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं और किशोरों को टारगेट कर उनसे विस्फोटक सामग्री ढोवाई जा रही है, जिसके वे खुद शिकार बन रहे हैं.
यूक्रेन के भीतर अस्थिरता फैलाने की बड़ी साजिश
SBU का दावा है कि इस अभियान का असली उद्देश्य है यूक्रेनी समाज को भीतर से तोड़ना. युद्धक्षेत्र से दूर, यूक्रेन के पश्चिमी हिस्सों में इस प्रकार के हमले सामाजिक अविश्वास और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं. डेख्तियारेंको का कहना है कि यह एक सुनियोजित कोशिश है जिससे यूक्रेनी नागरिकों को ही अपने ही देश के खिलाफ मोहरा बनाया जा सके.
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