ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना को मिलेगी नई 'महाशक्ति', अब दुश्मन नहीं बच पाएंगे!

    पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने जिस आक्रामकता के साथ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसने न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया.

    Russia and india deal  r37m long range hypesonic missile
    Image Source: Wikipedia

    पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने जिस आक्रामकता के साथ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसने न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया. भारतीय वायुसेना की सर्जिकल स्ट्राइक जैसी इस कार्रवाई ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों और सैन्य ठिकानों को कुछ ही घंटों में खाक में मिला दिया. लेकिन भारत की तैयारी यहीं नहीं रुकी. अब देश अपनी एयर पावर को नई ऊंचाई देने जा रहा है – और इस बार निशाने पर है दुनिया की सबसे तेज और सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल: R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल.


    R-37M: भारतीय वायुसेना की नई घातक ताकत

    रूस द्वारा विकसित R-37M मिसाइल को NATO की कोडनेमिंग में AA-13 Axehead कहा जाता है. यह मिसाइल "बियॉन्ड विजुअल रेंज" (BVR) कैटेगरी की सबसे घातक मिसाइलों में मानी जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है:

    रेंज: 300–400 किलोमीटर

    • स्पीड: मैक 6 यानी आवाज की गति से छह गुना
    • टारगेट: एयरबोर्न वॉर्निंग सिस्टम, टैंकर एयरक्राफ्ट, हाई वैल्यू एरियल टारगेट्स
    • इसकी स्पीड इतनी ज्यादा है कि दुश्मन के विमान को इसका अंदाजा तब तक नहीं होता, जब तक वह निशाना नहीं बन चुका होता.

    ब्रह्मोस से तुलना: कौन कितना घातक?

    • मिसाइल    प्रकार    रेंज    स्पीड    लक्ष्य
    • ब्रह्मोस    सुपरसोनिक क्रूज    ~450 किमी    मैक 2.8    जमीनी/समुद्री टारगेट
    • R-37M    हाइपरसोनिक एयर-टू-एयर    ~400 किमी    मैक 6    एयरबोर्न टारगेट
    • ब्रह्मोस की मारक क्षमता जमीन और समुद्र पर कहर ढाती है, तो R-37M आसमान में दुश्मन के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले विमानों को भी मिनटों में खत्म कर सकती है.

    रणनीतिक बढ़त: पाकिस्तान और चीन के लिए खतरे की घंटी

    R-37M के आने से भारतीय वायुसेना को ऐसे स्टैंड-ऑफ अटैक की सुविधा मिलेगी, जहां पायलट दुश्मन की सीमा में दाखिल हुए बिना ही उसके विमानों को मार गिरा सकते हैं. इससे पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान खतरे में पड़ जाएंगे. चीनी PL-15 और अमेरिकी AIM-120C AMRAAM मिसाइलों से बेहतर क्षमता मिलेगी. भारत की सीमाएं सुरक्षित होंगी, और जवाबी हमला पहले और घातक हो सकेगा.

    मेक इन इंडिया के तहत होगा निर्माण?

    खास बात यह है कि रूस सिर्फ इन मिसाइलों की आपूर्ति ही नहीं, बल्कि भारत में इनके निर्माण का विकल्प भी पेश कर चुका है. सूत्रों के मुताबिक, Hindustan Aeronautics Limited (HAL) इस निर्माण प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभा सकता है. इससे भारत न केवल आत्मनिर्भर होगा, बल्कि इन मिसाइलों का निर्यात भी संभव हो सकेगा.

    डिफेंस स्ट्रेंथ का नया अध्याय

    भारत की वायुसेना पहले ही राफेल, ब्रह्मोस और सुखोई-30 जैसे एडवांस सिस्टम्स से लैस है. अब R-37M जैसी हाइपरसोनिक मिसाइल के आने से भारत की "एयर सुपीरियरिटी" न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन जैसी ताकतों के मुकाबले कई गुना अधिक हो जाएगी. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने दिखा दिया है कि भारत अब किसी भी खतरे को न सिर्फ जवाब देने में सक्षम है, बल्कि उसे जड़ से खत्म करने की रणनीतिक सोच भी रखता है.

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