पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने जिस आक्रामकता के साथ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसने न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया. भारतीय वायुसेना की सर्जिकल स्ट्राइक जैसी इस कार्रवाई ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों और सैन्य ठिकानों को कुछ ही घंटों में खाक में मिला दिया. लेकिन भारत की तैयारी यहीं नहीं रुकी. अब देश अपनी एयर पावर को नई ऊंचाई देने जा रहा है – और इस बार निशाने पर है दुनिया की सबसे तेज और सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल: R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल.
R-37M: भारतीय वायुसेना की नई घातक ताकत
रूस द्वारा विकसित R-37M मिसाइल को NATO की कोडनेमिंग में AA-13 Axehead कहा जाता है. यह मिसाइल "बियॉन्ड विजुअल रेंज" (BVR) कैटेगरी की सबसे घातक मिसाइलों में मानी जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है:
रेंज: 300–400 किलोमीटर
ब्रह्मोस से तुलना: कौन कितना घातक?
रणनीतिक बढ़त: पाकिस्तान और चीन के लिए खतरे की घंटी
R-37M के आने से भारतीय वायुसेना को ऐसे स्टैंड-ऑफ अटैक की सुविधा मिलेगी, जहां पायलट दुश्मन की सीमा में दाखिल हुए बिना ही उसके विमानों को मार गिरा सकते हैं. इससे पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान खतरे में पड़ जाएंगे. चीनी PL-15 और अमेरिकी AIM-120C AMRAAM मिसाइलों से बेहतर क्षमता मिलेगी. भारत की सीमाएं सुरक्षित होंगी, और जवाबी हमला पहले और घातक हो सकेगा.
मेक इन इंडिया के तहत होगा निर्माण?
खास बात यह है कि रूस सिर्फ इन मिसाइलों की आपूर्ति ही नहीं, बल्कि भारत में इनके निर्माण का विकल्प भी पेश कर चुका है. सूत्रों के मुताबिक, Hindustan Aeronautics Limited (HAL) इस निर्माण प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभा सकता है. इससे भारत न केवल आत्मनिर्भर होगा, बल्कि इन मिसाइलों का निर्यात भी संभव हो सकेगा.
डिफेंस स्ट्रेंथ का नया अध्याय
भारत की वायुसेना पहले ही राफेल, ब्रह्मोस और सुखोई-30 जैसे एडवांस सिस्टम्स से लैस है. अब R-37M जैसी हाइपरसोनिक मिसाइल के आने से भारत की "एयर सुपीरियरिटी" न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन जैसी ताकतों के मुकाबले कई गुना अधिक हो जाएगी. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने दिखा दिया है कि भारत अब किसी भी खतरे को न सिर्फ जवाब देने में सक्षम है, बल्कि उसे जड़ से खत्म करने की रणनीतिक सोच भी रखता है.
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