Russia Ukraine War Tensions: रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष अब उस चरण में पहुंच चुका है जहां यह महज सैन्य टकराव नहीं, बल्कि वजूद की लड़ाई बन गया है. 6 जून 2025 को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला करते हुए 407 ड्रोन और 45 मिसाइलें दागीं, जिसने कीव समेत देश के कई हिस्सों को हिला कर रख दिया.
निशाने पर कीव से लेकर वोलिन तक
महज तीन घंटे के भीतर रूस ने यूक्रेन के नौ अलग-अलग क्षेत्रों पर हमले किए. पश्चिमी यूक्रेन के ल्वीव और वोलिन जैसे शहरों को भी निशाना बनाया गया, जो नाटो और यूरोपीय संघ की सीमाओं के बेहद करीब हैं. कीव में हुई बमबारी में कम से कम तीन लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हुए हैं.
हमला क्यों हुआ? जवाब था यूक्रेनी ड्रोन स्ट्राइक का
यह जवाबी हमला यूक्रेन द्वारा रूस के अंदर किए गए एक ड्रोन हमले के बाद आया है, जिसमें कथित तौर पर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम रूसी विमानों को नुकसान पहुंचा. इस हमले ने मास्को को झकझोर दिया, जिसके बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जरिए चेतावनी दी थी कि "अगली प्रतिक्रिया निर्णायक होगी" और अब वही देखने को मिला.
"यह अब अस्तित्व की लड़ाई है"
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने स्पष्ट कहा कि यूक्रेन के साथ यह युद्ध अब केवल भू-राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि रूस की सुरक्षा और भविष्य से जुड़ा है. उन्होंने इसे "हमारे बच्चों के भविष्य की रक्षा" से जोड़ते हुए युद्ध को पूरी तरह 'राष्ट्रीय अस्तित्व का प्रश्न' करार दिया.
जेलेंस्की की तीखी प्रतिक्रिया
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूसी हमलों की निंदा करते हुए कहा कि यह साफ संकेत है कि रूस शांति नहीं चाहता. उन्होंने पश्चिमी देशों से रूस की सैन्य क्षमताओं पर सख्त प्रतिबंध लगाने की अपील की और कहा कि रूस की शांति वार्ता की शर्तें पुराने अल्टीमेटम की तरह हैं — जिनमें यूक्रेन की सेना की वापसी, नाटो में शामिल न होने की प्रतिबद्धता और पश्चिमी देशों से समर्थन खत्म करने जैसी मांगें शामिल हैं.
समाधान की राह मुश्किल
तुर्किए में हाल ही में हुई शांति वार्ता का दूसरा दौर भी बिना किसी ठोस परिणाम के समाप्त हो गया. कूटनीतिक कोशिशों के बावजूद रूस का आक्रामक दृष्टिकोण और “अस्तित्व की रक्षा” जैसी स्थिति, बातचीत की प्रक्रिया को और जटिल बना रही है. अमेरिका और तुर्किए जैसे देश अब भी मध्यस्थता का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जमीन पर बदलते हालात शांति की उम्मीद को कमजोर कर रहे हैं.
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