आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक खत्म, रेपो रेट में इस बार कोई बदलाव नहीं, जानिए क्या है वजह

    Repo Rate: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. मुंबई में आज मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह ऐलान किया.

    RBI monetary policy meeting is over no change in repo rate this time
    Image Source: ANI/ File

    Repo Rate: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. मुंबई में आज मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह ऐलान किया. यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति, वैश्विक परिदृश्य और आने वाले महीनों में संभावित विकास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

    गौरतलब है कि इससे पहले जून 2025 की मौद्रिक नीति में RBI ने 50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की थी, जबकि अप्रैल 2025 में भी 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की गई थी. ऐसे में इस बार बाजार को उम्मीद थी कि शायद फिर से दरों में कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन आरबीआई ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का रास्ता चुना है.

    आने वाला त्योहारी सीजन बना उम्मीद की किरण

    संजय मल्होत्रा ने मौजूदा हालात को सकारात्मक बताया और कहा कि मानसून का अच्छा प्रदर्शन और आने वाला त्योहारी सीजन अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगा. साथ ही उन्होंने माना कि भूराजनीतिक अस्थिरता जरूर एक चिंता का विषय है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बुनियाद और नीतिगत समर्थन के चलते स्थिर गति से आगे बढ़ रही है.

    MPC क्या है और इसका काम क्यों अहम है?

    मौद्रिक नीति समिति यानी MPC, भारतीय रिजर्व बैंक की एक अहम संस्था है, जो देश की मौद्रिक दिशा तय करती है. इसकी अध्यक्षता खुद आरबीआई गवर्नर करते हैं. समिति में कुल छह सदस्य होते हैं, जिनमें से तीन RBI के अधिकारी होते हैं और बाकी तीन विशेषज्ञ भारत सरकार द्वारा नामित किए जाते हैं. यह समिति हर दो महीने में बैठक करती है, जिसमें रेपो रेट सहित अन्य महत्वपूर्ण दरों की समीक्षा की जाती है. इन फैसलों का सीधा असर आपकी EMI, लोन और निवेश पर पड़ता है.

    नीति में स्थिरता का संकेत

    इस बार रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने का फैसला यह दर्शाता है कि RBI फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपना रहा है. यह कदम न केवल मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की दिशा में है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास की रफ्तार को संतुलित बनाए रखना चाहता है.

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